कब से करें जलाभिषेक

5: 43 मिनट सुबह से गुरुवार को करें भोलेबाबा का जलाभिषेक

ये है विशेष मुहूर्त

गुरुवार दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक अभिजित मुहूर्त में करें पूजा-अर्चना, सूर्यास्त के समय भी जलाभिषेक विशेष लाभकारी होता है।

- 9 अगस्त को आद्रा नक्षत्र और व्रजयोग में है शिवरात्रि

- 28 साल बाद शिवरात्रि पर बन रहा जलाभिषेक का शुभ योग

- 37 मिनट का बन रहा जलाभिषेक करने का विशेष मुहूर्त, इस समय करें पूजा

Meerut । इस बार शिवरात्रि यानि गुरुवार को बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए 28 साल बाद विशेष संयोग बन रहा है। ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो इस मुहूर्त में पूजा-अर्चना करने से भोलेबाबा की विशेष कृपा प्राप्त होगी। दरअसल, इस बार शिवरात्रि 9 अगस्त को आद्रा नक्षत्र तथा व्रजयोग में है, जोकि लाभकारी है। वहीं, प्रदोष काल मे शिव पूजन का बेहद महत्व है, त्रयोदशी तिथि के दिन सूर्यास्त से तीन घड़ी तक प्रदोष की पूजा करे। साथ ही साथ ऊं नम: शिवाय: का जाप करना चाहिए।

शिव के मस्तक पर अभिषेक

श्रावण मास की शिवरात्रि के दिन ही बाबा भोलेबाबा का मां पार्वती के संग विवाह हुआ था। इस दौरान भोलेबाबा के मस्तक पर अभिषेक किया गया था। महा शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन के अलावा समूची सृष्टि के लिए विशेष रात्रि होती है। इसलिए मन क्रम और वचन से शिव उपासना की जाए तो वह विशेष लाभकारी होती है।

इनसे करें जलाभिषेक

मनोकामना द्रव्य पदार्थ

स्वास्थ्य कच्चा दूध व गंगा जल

रक्षा सरसों का तेल

संतान के लिए मक्खन व गंगाजल

लक्ष्मी के लिए गन्ने का रस

लंबी आयु के लिए गाय का घी

पत्र व पुष्प से प्रसन्न

भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय है बेल पत्र जो कि तीन की संख्या में प्राकृतिक रुप में होता है। जो उनके त्रिपुण्ड का प्रतीक है। इस शिवलिंग पर औंधा करके चढ़ाना चाहिए। यानि चिकना भाग बेलपत्र का शिवलिंग पर हो। यही नहीं, भगवान शिव के प्रिय फूल आख, कनेर, चमेली, मोलसरी, शंखपुष्पी आदि की सुगंध भोलेबाबा को विशेष प्रिय है।

शिवरात्रि पर कालसर्प दोष, महामृत्युंजय की पूजा करने व ऊं नम: शिवाय का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है।

पं। भारत ज्ञान भूषण

इस वर्ष सावन का महीना अति शुभ है। इस साल शिवरात्रि पर 28 साल बाद विशेष योग बन रहा है। जिसमें भक्तों को विशेष लाभ मिलता है।

डॉ। अनुराधा गोयल, ज्योतिष विशेषज्ञ