बांग्लादेश के साथ साझा हुई पुनर्वास योजना

पिछले साल अगस्त में म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैन्य चौकियों पर आतंकियों के हमले के बाद सूबे में व्यापक सैन्य कार्रवाई की गई थी। इसकी वजह से हिंदुओं समेत करीब सात लाख रोहिंग्या मुस्लिमों ने बांग्लादेश में पलायन किया था। इनकी वापसी को लेकर पिछले महीने म्यांमार और बांग्लादेश के बीच समझौता हुआ था। वापसी प्रक्रिया 23 जनवरी से शुरू होनी थी। लेकिन तब शरणार्थियों की सूची तैयार नहीं होने के कारण इसे टाल दिया गया था। म्यांमार ने मंगलवार को इस मामले पर सुरक्षा परिषद में चर्चा के दौरान कहा कि जीविकोपार्जन सहायता और बुनियादी सेवाएं मुहैया कराने समेत शरणार्थियों के पुनर्वास की योजना बांग्लादेश के साथ साझा की गई है।

म्यांमार में हालात अनुकूल नहीं

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी का कहना है कि म्यांमार में अभी शरणार्थियों की वापसी के अनुकूल हालात नहीं हैं। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि म्यांमार से बांग्लादेश पलायन करने वाले शरणार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।

रोहिंग्या का पलायन जारी

बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि मसूद बिन मोमेन ने कहा कि उनके देश में रोङ्क्षहग्या मुस्लिमों का आना जारी है। फरवरी के पहले दस दिनों में 1,500 शरणार्थी बांग्लादेश पहुंचे हैं।

म्यांमार पर चीन और रूस नरम

सुरक्षा परिषद में म्यांमार पर चर्चा के दौरान वीटो अधिकार प्राप्त चीन और रूस का रुख नरम दिखा जबकि कुवैत और पश्चिमी देशों ने कड़ा रवैया अपनाया। इन देशों ने म्यांमार पर रोङ्क्षहग्या के सफाये का आरोप लगाया।

अमेरिका बोला, सू की पर दबाव बनाए सुरक्षा परिषद

अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निक्की हेली ने कहा कि सुरक्षा परिषद अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में नाकाम रही है। उन्होंने म्यांमार की सेना की जवाबदेही तय करने के लिए वहां की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की पर दबाव बनाए जाने की मांग की।

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