क्या बियर की मंहगी होती कीमत से दुखी आकर अब आप यह सोंचने लगे हैं कि आप एक मिडिल क्लास हैं और काश कि आप इंडिया में पैदा होने की जगह अमेरिका या ब्रिटेन में पैदा हुये होते. क्या दोस्तों को पार्टी देते समय भी आपके मन में यही ख्याल आता है कि ‘साली ये मिडिल क्लास जिन्दगी ही खराब है ’, क्या एलीट क्लास के सपने देखते देखते आप यूरोपियन कन्ट्रीज में लांग ओवरकोट  पहने अपनी गर्लफ्रेण्ड के साथ स्नोमैन बनाने लग जाते हैं?

अगर ऐसा है तो परेशानी की बात नहीं है. आप अकेले ही मिडिल क्लास नहीं हैं. यूरोप में भी मिडिल क्लास की संख्या तेजी से बढ़ी है. मतलब यह कि फेसबुक पर जुड़ी लंदन की आपकी फ्रेंण्ड जेसिका, मेरी या सोफिया भी शायद मिडिल-क्लास ही हों और हर रोज घर में फ्रेंच वाइन नहीं पी पाती हों.  मतलब कि अब यह समस्या आपकी अकेले की नहीं है, यह तो अब ग्लोबल समस्या हो चुकी है. एक वेबसाइट के रिसर्च में कुछ इंटरेस्टिंग बातें सामने आई है.

लंदन में किये गये एक रिसर्च में बताया गया है कि 10 में से 7 अंग्रेज खुद को अब मिडिल क्लास मानने लगे हैं.

केवल 53 प्रतिशत लोग मानते हैं कि उनके पैरेंट्स ह्वाइट-कालर वर्कर्स थे.

10 में से 6 लोगों का कहना है कि उनके दादा दादी वर्किंग क्लास थे. 30 प्रतिशत से भी कम लोगों ने यह माना है कि उनके बाप दादों का स्टेटस ही उनका स्टेटस तय करता है.

तीन चौथाई से भी ज्यादा लोग यह मानते हैं कि उनका नौकरी पेशा वाला होना ही उन्हे मिडिल-क्लास बनाता है.

75 प्रतिशत से ज्यादा लोग यह भी मानने लगे हैं कि भले ही उनके बाप दादे कभी मिडिल-क्लास न रहे हों पर वे मिडिल क्लास ही हैं.

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