RANCHI: लोक अदालत और मध्यस्थता न्याय की प्रहरी बन गया है। यहां आमजनों को सस्ता, सुलभ, नि:शुल्क और त्वरित न्याय मिलता है। इसके लिए उन्हें न तो अदालती चक्कर लगाने पड़ते हैं और न ही खर्च की जरूरत पड़ती है। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, लोक अदालत, मध्यस्थता आदि वैकल्पिक माध्यमों से नौ माह में 75,641 मामले निष्पादित किए गए।

शुक्रवार को भी निपटाए मामले

शुक्रवार को सिविल कोर्ट में लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसमें एक करोड़ 92 लाख चार हजार दो सौ पचास रुपए के मामलों का निष्पादन विभिन्न वादों में किया गया। अदालत में पैनल लॉयर रतन कुमार, रिटेनर लायर सेवा चक्रवर्ती शामिल हुई।

दो तरह के मामले

दरअसल, लोक अदालत के माध्यम से दो तरह से मामले निष्पादित होते हैं। एक वैसे मामले, जो न्यायालय में लंबित होते हैं। दूसरा वैसे मामले होते हैं, जो न्यायालय में पहुंचने के पूर्व प्री लिटिगेशन के माध्यम से निपटाए जाते हैं। इसमें विशेषकर बैंक, बीएसएनएल, इंस्योरेंश आदि के मामले होते हैं, जो न्यायालय में पहुंचने के पूर्व बेंच से ही निपटाए जाते हैं। लोक अदालत में सुलह-समझौते के माध्यम से मामले निष्पादित होते हैं। इसमें किसी की जीत-हार नहीं होती। इसमें दोनों पक्षों की जीत होती है। इसके माध्यम से सुलहनीय प्रवृत्ति के विवाद, न्यायालय में लंबित मामले निष्पादित किए जाते हैं। इसके लिए एक बेंच होता है, उसमें अधिवक्ता और न्यायिक पदाधिकारी शामिल रहते हैं।

ऊपरी अदालत में अपील नहीं

सुलह समझौते के माध्यम से लोक अदालत और मध्यस्थता से मामले निपटाए जाते हैं। सबसे बड़ी बात है कि लोक अदालत में निपटाए गए मामलों की ऊपरी अदालत में अपील नहीं होती। दोनों पक्षों के बीच समझौता पत्र बनता है। मामला निष्पादित होने के बाद दोनों पक्ष हंसी-खुशी अपने घर को चले जाते हैं। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) और जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) के माध्यम से यह विवाद निपटाए जाते हैं।

लोगों का बढ़ा विश्वास

झारखंड हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमिटी के सचिव संतोष कुमार ने बताया कि लोक अदालत और मध्यस्थता विवाद निपटारा का अल्टरनेटिव और सर्वाधिक सफल माध्यम है। इसपर लोगों का विश्वास बढ़ा है।