जलकल विभाग दिखा रहा था दोगुना खर्चा

जीपीएस लगने के बाद खुलकर सामने आया मामला

हर साल होता था दो करोड़ रुपये से अधिक का डीजल व्यय

Meerut। नगर निगम का जलकल विभाग हर माह निगम को 17 लाख रुपये की चपत लगा रहा था। यह अब से नहीं बल्कि सालों से यह खेल चल रहा था। जलकल विभाग हर साल दो करोड़ रुपये से अधिक का डीजल फूंकता था, लेकिन निगम द्वारा वाहनों में जीपीएस लगाने से यह खपत पचास प्रतिशत तक घट गई।

हकीकत आई सामने

दरअसल निगम में जलकल विभाग में पानी के टैंकर और जनरेटर पर डीजल की खपत होती है। हर साल जलकल विभाग दो करोड़ रुपये से अधिक के डीजल की खपत दिखाता था, लेकिन करीब आठ माह पहले निगम ने सभी गाडि़यों में जीपीएस लगा दिया। इस बार जब निगम के पास बीते नवंबर से अब तक का बिल आया तो पता चला है जहां पहले 17 लाख रुपये से हर माह डीजल की खपत हो रही थी। वह घट 8-9 लाख रुपये के बीच में आ गई है।

कोई कार्रवाई नहीं

डीजल घोटाले को लेकर अनेक बार हंगामा हुआ। महापौर से लेकर नगर आयुक्त भी इस मामले का पकड़ चुके हैं। लेकिन इसके खिलाफ आज तक कोई एक्शन नहीं हुआ। जीपीएस लगने के बाद वाहन के बाद अब जलकल विभाग में घोटाला सामने आया है।

नहीं हुई कोई जांच

वाहनों में डीजल की खपत के बाद जलकल विभाग में डीजल की खपत को लेकर घोटाला सामने आया है। बावजूद इसके निगम के अधिकारी हैं कि कोई जांच नहीं कर रहे हैं। न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो इसका मतलब यही है कि इसमें सभी मिले हुए हैं। यदि जांच हुई तो कई अधिकारी व कर्मचारियों की गर्दन इसमें फंसेगी।

जीपीएस लगने से पहले निगम के जलकल विभाग में हर माह जहां 17 लाख रुपये की खपत होती थी। वहीं जीपीएस लगने के बाद यह खपत 8 से 9 लाख रुपये हो गई है। जीपीएस लगने के बाद निगम को खासा फायदा हुआ है।

मनोज कुमार चौहान, नगर आयुक्त