- आम बजट को लेकर लोगों की एक आवाज, महंगाई पर लगे नियंत्रण

- लोगों का कहना, कड़वे घूंट पीने से अब काम नहीं चलने वाला

LUCKNOW: सेब का टेस्ट हमारी जेब के बाहर हो रहा है। ख्भ्0 किलों है सेब का दाम। महीने में एक दिन फैमिली के साथ बाहर खाना हो तो सोचना पड़ता है। ढाबे की थाली भी म्0 रुपए से कम नहीं है। स्कूल कॉलेजेस में बढ़ती फीस का मुद्दा विधानसभा में गूंज ही चुका है। रही बात हॉस्पिटल्स की तो इसकी हकीकत सब जानते हैं। सरकारी हॉस्पिटल में जिसकी पहुंच होती है, उसी को इलाज मिलता है। प्राइवेट हॉस्पिटल में तो इलाज कराया तो घर बार बिक जाए। ब्00 का इंजेक्शन ख्म्00 में मिलता है। आम बजट आने से पहले यह तल्ख टिप्पणी लखनवाइट्स ने की। लोगों की डिमांड है कि बजट में कुछ ऐसा हो, जिससे महंगाई कम हो और इसका असर तुरंत नजर आए। भले ही इसके लिए ऑपरेशन करना पड़े। कड़वे घूंट पीने से अब काम नहीं चलने वाला।

तभी बात बनेगी

जीपीओ ऑफिस से जुड़े हरीश बताते हैं कि कल आने वाले बजट से कोई खास उम्मीदें नहीं जुड़ी हैं। बजट में महंगाई से राहत मिले, तभी बात बनेगी। कहावत है कि रोज एक सेब खाओ और डाक्टर से दूर रहो। अब ख्भ्0 रुपये प्रति किलो सेब भला कैसे कोई खा पाएगा। ये हर आदमी के बस की बात नहीं है। प्याज के दाम तो पहले ही लोगों को रुला रहे हैं।

आप ही बताओ, कहां कटौती करें

रेलवे कर्मचारी राजीव ने बताया कि आखिर राहत कहां मिलेगी। पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा होने से महंगाई पहले ही बढ़ गई है। स्कूल्स की बढ़ती फीस के मामले में सेंटर से कोई राहत नहीं मिलने वाली। रही बात बिजली की तो एक सामान्य घर में जिसके यहां सिर्फ एक एसी हो उसके भी यहां भी फ्000 तक का बिल आ जाता है। ऐसे में वह कहां कटौती करे।

महंगाई बढ़ती है केवल, इंकम नहीं

प्राइवेट जॉब करने वाले अखिल श्रीवास्तव बताते हैं कि अनाज, फल और सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। रा मीट इस समय ब्00 रुपए किलो बिक रहा है। अरहर की दाल का दाम 80 रुपए किलो तक पहुंच गया है। पालक ब्0 रुपए प्रति किलो बिक रही है। जैसे-जैसे लोगों की इंकम बढ़ती है वे दालों का प्रयोग कम कर सब्जी का यूज बढ़ा देते हैं। कुछ लोग नॉनवेज की तरफ बढ़ जाते हैं।

तत्काल प्रभाव से नियंत्रण लगे

परिवहन निगम के अधिकारी शशिकांत सिंह के अनुसार, सरकार की दूरगामी प्लान तो अच्छे हैं, लेकिन महंगाई से पब्लिक त्रस्त हो चुकी है। इस पर तत्काल प्रभाव से नियंत्रण लगाया जाना जरूरी है। एआरटीओ आरपी सिंह के अनुसार डेली यूज के आइटम्स में लोगों दाम तो नहीं बढ़े लेकिन क्वाटिंटी कम कर दी गई है। उदाहरण के लिए जो ख्0 ग्राम साबुन जो पीस फ्0 रुपए का था वह अब क्भ् ग्राम का हो गया है।

मुझे उम्मीद है कि आने वाला बजट आर्थिक व्यवस्था को बेहतर करने वाला होगा। इंकम टैक्स में लोगों को छूट मिल सकती है। सरकार सब्सिडी जैसी व्यवस्था को खत्म करेगी। ब्लैक मनी को वापस लाने के लिए सरकार के पास कोई प्लान जरूर होगा।

- एसबी अग्रवाल,

सेक्रेटरी जनरल

यूपी एसोचैम

'सोशल इंफ्रास्ट्रकचर बेस हो बजट'

लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रो। वीसी प्रो। एपीसेन गुप्ता कहते हैं कि इस बार का बजट सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर बजट होना चाहिए। इसमें हाउसिंग, हेल्थ और एजूकेशन पर फोकस होगा। इसके अलावा इस बजट में फॉरेन इंवेस्टर्स को प्रमोट करने के लिए प्रोविजंस हो सकते हैं। इससे इंडियन मार्केट प्रमोट होगा। वह व‌र्ल्ड लेवल पर कॉम्पटीट कर सकेंगे। महंगाई को तुरंत कंट्रोल नहीं किया जा सकता। इसके लिए पॉलिसीज बनानी होंगी। सबसे बड़ी बात यह है कि हम लोग एक्सपोर्ट में सिर्फ प्राइमरी आइटम्स पर ही टिके हुए हैं। इसके लिए हमें मैनुफैक्चरिंग कमोडिटीज पर आना होगा। इसके अलावा सरकार को स्टील, कोयला और फर्टिलाइजर के दामों को अपने हाथ में लेना होगा। पेट्रोल और डीजल के दाम पर हम अंकुश नहीं लगा सकते। ये बाहरी देशों से आता है।