कांग्रेस को बेशक फायदा नहीं हुआ पर दिखा कि न्याय अभी जिंदा है

नई दिल्ली (पीटीआई)। कर्नाटक के नाटक को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने वाले अधिवक्ता व कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस का मंतव्य नहीं सधा, लेकिन कोर्ट की तत्परता ने दिखाया कि न्याय जिंदा है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि 'जस्टिस नेवर स्लीप्स'। कांग्रेस नेता ने कहा, विश्व में किसी भी देश की न्यायिक व्यवस्था इतनी ज्यादा जागरूक नहीं है कि रात में दो बजे किसी मामले की सुनवाई करे। जो कुछ कर्नाटक में हुआ वह लोकतंत्र की हत्या थी। सारे देश की निगाहें भाजपा प्रायोजित तमाशेबाजी पर लगी थीं। अलबत्ता सुप्रीम कोर्ट ने सारे मामले का संज्ञान लेकर रात दो बजे सुनवाई का फैसला लिया। उनका कहना था कि हालांकि येद्दयुरप्पा का शपथ ग्रहण पर कोर्ट ने रोक नहीं लगाई, लेकिन यह वक्ती बात है। शुक्रवार को सुनवाई होगी तो अदालत कोई न कोई फैसला तो लेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि दस्तावेजों पर नजर डालने के बाद बहुमत साबित करने की समय सीमा को घटाया जा सकता है।

सिंघवी ने बहस शुरू करने से पहले जजों का किया धन्यवाद

ध्यान रहे कि जस्टिस एके सिकरी, अशोक भूषण व एसए बॉब्दे की बेंच ने रात 2.11 बजे मामले की सुनवाई की। सिंघवी ने बहस शुरू करने से पहले जजों का धन्यवाद किया कि वे रात में बैठे हैं। साथ ही यह भी कहा कि संकट गंभीर है, इस वजह से कोर्ट के पास रात में गुहार लगाने की जरूरत पड़ी। सुनवाई के दौरान सिंघवी की दूसरे वकील मुकुल रोहतगी से तीखी नोंकझोंक भी हुई। सिंघवी ने कहा कि वह येद्दयुरप्पा की तरफ से पैरवी कर रहे हैं। रोहतगी का कहना था कि वह किसी की भी तरफ से पेश हो सकते हैं। बेंच ने उन्हें कहा कि माहौल खराब न करें।

कांग्रेस जदएस को फ्लोर टेस्ट का इंतजार करना था: अटार्नी जनरल

अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले कांग्रेस जदएस को फ्लोर टेस्ट का इंतजार करना था। उनका कहना था कि 64 साल के करियर में उनका यह पहला अनुभव था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने रात भर सुनवाई की। वेणुगोपाल ने बेंच से कहा था कि इस याचिका पर रात में सुनवाई की जरूरत नहीं थी। राज्यपाल के फैसले को चुनौती देना गलत है। तब बेंच ने उनसे पूछा कि राज्यपाल ने येद्दयुरप्पा को सरकार बनाने का आमंत्रण किस वजह से दिया? बहुमत साबित करने को 15 दिन का समय क्यों दिया गया? बेशक राज्यपाल का फैसला कानून के दायरे से बाहर है, लेकिन इन बातों को कोर्ट नजरंदाज नहीं कर सकती कि आखिर भाजपा बहुमत साबित कैसे करेगी?

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