आगरा:  आगरा से लखनऊ को जोड़ने वाले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हादसे नहीं रुक पा रहे है। इन हादसों की रोकथाम के लिए यूपीडा उप्र एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा कोई रोकथाम नहीं की जा रही है। बीती सुबह एक टूरिस्ट बस का टायर फट जाने से कई लोग घायल हो, जबकि दो की मौत हो गई। बिडम्बना की बात ये है कि यूपीडा के पास हादसों का ब्योरा भी उपलब्ध नहीं है।

हादसों को रोकने को नहीं उठाए जा रहे कदम
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हादसों को रोकने के लिए यूपीडा द्वारा कोई प्रयास भी नहीं किए जा रहे हैं। इस बारे में एडीएफ आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव केसी जैन ने बताया कि अगस्त 2017 से मार्च 2018 तक 853 हादसों में 100 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी जब सूचनाधिकार के तहत एडीएफ ने यूपीडा से हादसों की जानकारी मांगी तो जवाब मिला कि ये जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है। हादसों को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि एक्सप्रेस-वे पर होने वाले हादसों व मौतों के विवरण को यूपीडा द्वारा समय-समय पर प्रकाशित किया जाए। हादसों को रोकने के लिए जरूरी उपाय किए जाएं।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हर महीने गुजरते हैं आठ लाख व्हीकल्स 15 करोड़ का टोल पर सुविधाएं नहीं
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हर महीने आठ लाख व्हीकल्स गुजरते हैं। इसके लिए एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी 15 करोड़ रुपये का टोल वसूलता है। इसके बावजूद भी आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हादसों को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं। यहां तक कि स्पीड कंट्रोल के लिए अभी तक कैमरे नहीं लगाए जा सके हैं। विदेशों में घिसे हुए टायरों पर रोक है। वो व्यवस्था यहां भी लागू होनी चाहिए। इस बारे में एडीएफ के सचिव ने कहा कि हादसों में मृतक के परिजनों के लिए मुआवजा और इंश्योरेंस की व्यवस्था देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में निर्णय नहीं लेती है

अभी सुरक्षा बढ़ाने की जरुरत
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर अभी और सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है। सर्विस रोड की बेरीकडिंग को दुरुस्त करने के अलावा अन्य सुरक्षाओं पर भी ध्यान देना होगा। 23 दिसम्बर 2016 को आगरा को प्रदेश की राजधानी लखनऊ को जोड़ने वाले 302 किमी। लम्बे एक्सप्रेस-वे पर अभी तक हल्के वाहनों हेतु एक्सप्रेसवे पर गतिसीमा 100 किमी प्रति घंटा व भारी वाहनों हेतु गतिसीमा 80 किमी प्रति घंटा निर्धारित है, जिस पर गति उल्लंघन को रोकने एवं ट्रैफिक की सुरक्षा के लिए 'एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम' के अंतर्गत 10 कैमरे लगाये जाने हैं। इसमें अभी तक कैमरे नहीं लग सके हैं। हालांकि यूपीडा का कहना है कि इसमें टेडरिंग शुरू की जा चुकी है। हालांकि अभी 16 अक्टूबर 2018 को एम्बूलेंस और पेट्रोलिंग की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। इस कार्य को दो महीने में पूरा करने का दावा किया गया था।