- विधायकों के विरोध के बाद प्रेमनगर में नहीं गिराया जा सका अतिक्रमण

- टास्क फोर्स ने नेशविला रोड पर ध्वस्त किया अतिक्रमण

देहरादून, विधायक और व्यापारियों के विरोध के चलते अतिक्रमण हटाओ टास्क फोर्स प्रेमनगर से अतिक्रमण नहीं हटा पाई। हालांकि, मंडे को टास्क फोर्स ने नेशविला रोड पर अतिक्रमण ध्वस्त किया। इस दौरान जीएमएस रोड पर अतिक्रमण भी चिन्हित किया गया। इधर, केहरी गांव में व्यापारियों ने खुद अपना अतिक्रमण हटाया।

कब तक मिलेगी मोहलत

मंडे को प्रेमनगर में अतिक्रमण हटाने के लिए टास्क फोर्स पहुंची तो इससे पहले ही वहां 4 भाजपा विधायक अतिक्रमण हटाने के विरोध के लिए मौजूद थे। मौके पर भारी पब्लिक के बीच विधायकों को देख टास्क फोर्स ने अपना इरादा बदल दिया। प्रेमनगर के लोगों को मंडे को ध्वस्तीकरण से राहत तो मिल गई, लेकिन यह राहत कितने दिनों तक मिलेगी इसे लेकर खुद प्रेमनगर के लोग भी आशंकित हैं।

235 से ज्यादा अतिक्रमण

प्रेमनगर बाजार में 150 से ज्यादा दुकानें और 85 मकान अतिक्रमण की जद में हैं। संडे को इनका ध्वस्तीकरण किया जाना था। इससे पहले संडे रात से ही प्रेमनगर के व्यापारियों ने ध्वस्तीकरण का विरोध करना शुरू कर दिया था। मंडे को विधायक भी उनके समर्थन में पहुंच गए। इस दौरान कांग्रेसी नेता भी मौके पर डटे रहे। प्रशासन पर आरोप लगाया गया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई एकतरफा की जा रही है, व्यापारियों से उनका पक्ष तक नहीं लिया जा रहा है।

ये विधायक पहुंचे बचाव में

हरबंश कपूर, उमेश शर्मा काऊ, गणेश जोशी, खजानदास।

ये कांग्रेसी नेता रहे मौके पर

सूर्यकांत धस्माना और लालचंद शर्मा।

बाजार बंद का किया था ऐलान

व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजीव पुंज ने बताया कि प्रशासन द्वारा ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के स्थगन की घोषणा के बाद बाजार खोल दिया गया। हालांकि, संडे को व्यापार मंडल के कार्रवाई के विरोध में बाजार बंद रखने का ऐलान किया था। व्यापारियों ने यह मांग भी की कि राज्य सरकार द्वारा 2015 से प्रस्तावित प्रेमनगर से केहरी गांव तक एलीवेटेड रोड का प्रपोजल पास किया जाए।

कांग्रेस की राजभवन में दस्तक

इधर अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल केके पॉल से मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 4 जुलाई 2018 को संशोधित किया गया था। जिसमें आदेश दिए गए थे कि अतिक्रमणकारियों को उनका पक्ष रखने का मौका दिया जाए, उन्हें नोटिस सर्व किया जाए और तीन हफ्ते में उनका पक्ष जाना जाए। कांग्रेसियों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज किया जा रहा है। कहा कि बिना लोगों की बात सुने उनके मकान-दुकान ध्वस्त करना गलत है।