मुंबई (पीटीआई)। अपने पहले आंदोलन के जरिये महाराष्ट्र के शनि शिंगनापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दिलाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता त्रुप्ति देसाई ने शुक्रवार को केरला के सबरीमाला में स्थित अय्यापा मंदिर पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशीय संविधान खंडपीठ ने अपने 4-1 बहुमत के फैसले में शुक्रवार को कहा कि केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना एक लैंगिक भेदभाव है और यह हिंदू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है।

समुद्र तल से लगभग 3000 फीट ऊपर स्थित है मंदिर
देसाई ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों से जुड़ा है। यह आदेश एक तरह से उन लोगों के मुंह पर तमाचा है, जिन्होंने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था। देसाई ने कहा कि वे जल्द ही केरल के मंदिर में जाने की योजना बना रही है। बता दें कि सबरीमाला श्री धर्म सस्था, भगवान अय्यापा का मंदिर है और यह केरल के सबसे प्रसिद्ध और खास मंदिरों में से एक है। यह केरल के पठानमथिट्टा जिले के सबरीमाला नामक एक पहाड़ी चोटी (समुद्र तल से लगभग 3000 फीट ऊपर) पर स्थित है।

अदालत ने दे दी थी इजाजत
गौरतलब है कि देसाई की भुमाता रणरागिनी ब्रिगेड ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनी शिंगनापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दिलाने के लिए एक आंदोलन छेड़ दिया था। इसके बाद अप्रैल 2016 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में महिलाओं को शनि मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत दे दी थी।

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