-सीएम नीतीश बोले, महानायकों से प्रेरणा लें नई पीढ़ी

क्कन्ञ्जहृन्: बाबू कुंवर सिंह के 160वें विजयोत्सव पर कला संस्कृति एवं युवा विभाग तथा बिहार विरासत विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय समारोह के अंतिम दिन बुधवार को सीएम नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। बाबू कुंवर सिंह और 1857 की क्रांति पर केंद्रित संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र राजधानी स्थित बापू सभागार में हुआ। सीएम ने कहा कि लोग सद्भावना के बिगड़ रहे माहौल से बाहर निकलें। आज समाज में जिस तरह से कटुता और तनाव का माहौल दिख रहा है उससे बाहर आने की आवश्यकता है। नयी पीढ़ी राष्ट्र के महानायकों से प्रेरणा लें।

सदभावना का माहौल बने

सीएम ने कहा कि नयी पीढ़ी को बाबू कुंवर सिंह के योगदान के बारे में मालूम होना चाहिए। बाबू कुंवर सिंह ने जो कुछ भी किया वह पूरे देश के लिए किया। उनके योगदान को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने समाज के हर तबके के लोगों का सहयोग लिया। अस्सी साल की उम्र में उन्होंने संघर्ष किया। इसी आदर्श से प्रेम व सद्भावना का माहौल बनेगा।

सोशल मीडिया को मतलब नहीं

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया को सच से कोई मतलब नहीं। जरूरत है कि समाज में प्रेम और सद्भावना के प्रति जागरूकता के लिए सोशल मीडिया का सकारात्मक यूज हो। कहा कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक हाकिंस ने कहा कि दो सौ साल में सब कुछ खत्म हो जाएगा। हम तो कहते हैं कि इतना समय भी नहीं लगेगा। जरूरत इस बात की है कि हम पर्यावरण का ख्याल रखें।

तो देश आजाद नहीं होता : मोदी

जबकि डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि बाबू कुंवर सिंह नहीं होते तो देश आजाद नहीं होता। 1857 की चिंगारी ने आजादी की लड़ाई में शोले का काम किया। इसके नब्बे वर्षो के भीतर ही देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अंग्रेज इतिहासकार 1857 के विद्रोह को सिपाही विद्रोह कहते हैं। इसे वे स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई नहीं मानते हैं। पर इस लड़ाई का काफी महत्व है। अगर 1857 नहीं होता तो 1947 नहीं होता। 1857 के बाद अंग्रेजों ने फौज में बिहार-यूपी के लोगों की भर्ती रोक दी थी।