-शिक्षा विभाग में बार-बार डिमांड के बाद भी नदी दी गई जानकारी

-करोड़ों के हिसाब में खेल से उठ रहे कई सवाल, जांच कर कार्रवाई की मांग

PATNA : शिक्षा विभाग में 8973 करोड़ का नहीं मिल रहा है। अफसरों की चेतावनी के बाद भी उपयोगिता प्रमाण पत्र मुख्यालय को नहीं भेजा गया है। विभाग की इस मनमानी के पीछे बड़े प्लान की आशंका बताते हुए जांच कर कार्रवाई की मांग होने लगी है। विभाग को गोपनीय शिकायत कर कार्रवाई की मांग की गई है। सपा के मीडिया प्रभारी शिशिर राय ने इस मनमानी में घोटाले का आरोप लगाकर जांच की मांग की है। उनका कहना है कि विभिन्न मदों में सहायक अनुदान के तौर पर जिलों को दी गई धनराशि का ब्योरा नहीं दिया जाना घोटाले का संकेत दे रहा है। हालांकि मुख्यालय एक्शन में आया है और एक बार फिर अल्टीमेटम दिया है।

5 जनवरी का अल्टीमेटम

शिक्षा मुख्यालय को जिलों में विभिन्न मदों में भेजी गई धनराशि का हिसाब नहीं मिल पाया है। 8973 करोड़ रुपए को लेकर जवाब तलब किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि बड़ी धनराशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र मुख्यालय को नहीं मिलने से सिस्टम सवालों के घेरे में है। सवाल यह है कि आखिर उपयोग प्रमाण पत्र क्यों नहीं दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने विभिन्न शैक्षणिक योजनाओं के मद में खर्च राशि का पूरा ब्योरा सभी जिला शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारियों (स्थापना) से तलब किया है। जो पदाधिकारी 5 जनवरी तक उपयोगिता प्रमाणपत्र मुख्यालय को नहीं उपलब्ध कराएंगे उनके खिलाफ वेतन रोकने समेत अन्य दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

सचिव के एक्शन से खुलेगी पोल

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने मंगलवार को यह आदेश सभी जिलों को दिया है। अपर मुख्य सचिव के मुताबिक शिक्षा विभाग के तहत सहायक अनुदान मद में प्राप्त राशि में 8973.73 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार कार्यालय को नहीं भेजा गया है। इसके लिए जिलों के संबंधित पदाधिकारियों को स्पष्ट हिदायत देते हुए कहा गया है कि 5 जनवरी तक जो भी पदाधिकारी उपयोगिता प्रमाण पत्र मुहैया नहीं कराएंगे उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

हो रही आदेश की अनदेखी

शिक्षा विभाग ने 26 दिसंबर को उच्चस्तरीय बैठक में सभी जिलों से उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा था लेकिन किसी जिले ने उपयोगिता प्रमाण पत्र की जानकारी नहीं दी थी। 23 जिलों से आधी-अधूरी जानकारी विभाग को उपलब्ध कराई गई।