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ALLAHABAD :
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे में दरोगा पद पर याची का 6 हफ्ते बाद शारीरिक दक्षता टेस्ट लेने का निर्देश दिया है। टेस्ट जाते समय दुर्घटना में याची घायल हो गया। पैर की हड्डी टूट गयी फिर भी अधिकारियों ने दुर्घटना के तीसरे दिन लिए गये टेस्ट में उसे फेल कर दिया। कोर्ट ने कहाकि जिसकी पैर की हड्डी टूटी हो वह 400 मीटर मैदान का दस राउंड नहीं लगा सकता। 12 राउंड न लगा पाने के कारण उसे फेल कर दिया गया। कोर्ट ने अधिकारियों पर 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है और कहा है कि याची के पैर में सूजन है। ऐसे में उसे नियुक्त न करने का आदेश मनमानापूर्ण है।

सील बंद लिफाफे में रखें नियुक्ति पत्रावली
यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने मथुरा के आशिफ अली की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने याची की नियुक्ति संबंधी पत्रावली सील कवर लिफाफे में एसएसपी मथुरा की अभिरक्षा में रखे जाने का आदेश दिया है। याचिका पर अधिवक्ता ओमप्रकाश सिंह ने बहस की। मालूम हो कि याची ने मृतक आश्रित कोर्ट में अर्जी दी। उसे उपनिरीक्षक पद पर चयन में शारीरिक दक्षता टेस्ट के लिए बुलाया गया। याची दुर्घटनाग्रस्त हो गया फिर भी तीसरे दिन उसका टेस्ट लेकर असफल घोषित कर दिया गया। जिससे चुनौती दी गयी। कोर्ट के निर्देश पर सीएमओ ने अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम से जांच करायी।

मेडिकल बोर्ड ने कहा, याची सही
याची का कहना था कि वह दौड़ नहीं सकता और चयन बोर्ड ने कहा कि वह मानक के अनुरूप दौड़ नहीं सका। मेडिकल बोर्ड ने याची की जांच कर उसके कथन की पुष्टि की। इस पर कोर्ट ने कहा कि जिसका पैर फ्रैक्चर हो वह कैसे दौड़ सकता है। इसलिए 400 मीटर का 10 राउंड लगाने की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जा सकता। मेडिकल बोर्ड ने भी कहा है कि याची दौड़ नहीं सकता। इसलिए छ: हफ्ते बाद टेस्ट लिया जाय और नियमानुसार कार्यवाही की जाय।

फ्रैक्चर के बावजूद दौड़ में फेल करने पर 10 हजार हर्जाना