कौन है जिम्मेदार?

डफरिन हॉस्पिटल में लंबे समय से अल्ट्रासाउंड मशीन की मांग चल रही है। यहां आने वाली महिलाओं को जांच के लिए कॉल्विन या बेली हॉस्पिटल रिफर किया जाता है। लास्ट ईयर चीफ सेक्रेटरी के दौरे के बाद हॉस्पिटल को अल्ट्रासाउंड मशीन जरूर मिली लेकिन उसमें ह्यूमन की जगह एनिमल सॉफ्टवेयर लगा हुआ था। जब हॉस्पिटल प्रशासन को इसकी जानकारी हुई तो हड़कंप मच गया। फटाफट इंजीनियर्स को बुलाकर साफ्टवेयर चेंज किया गया लेकिन मशीन स्टार्ट नहीं हो सकी। ऑफिसर्स की मानें तो हाल ही में अल्ट्रासाउंड मशीन को वापस शासन के पास भिजवा दिया गया है और इसकी जगह सही मशीन की मांग की जा रही है. 

और खुल गई पोल

डिस्ट्रिक्ट का एकमात्र महिला हॉस्पिटल होने के नाते डफरिन में डेली सैकड़ों पेशेंट का आना होता है। इनमें से अधिकतर का प्रेगनेंसी पीरियड होता और इन्हें नौ महीने के भीतर दो से तीन अल्ट्रासाउंड की जांच होती है। फैसिलिटी नहीं होने से इन पेशेंट्स को कॉल्विन या बेली हॉस्पिटल रिफर किया जाता है। कई बार यहां की मशीनों से हुई जांच क्लीयर नहीं होने पर पेशेंट को मजबूरन प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटर में जांच के नाम पर 500 रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। यही रीजन है कि मंडे को अव्यवस्था से नाराज लोगों ने हॉस्पिटल में प्रदर्शन कर अपनी मांग सामने रखी और सच्चाई सामने आ गई।

खफा हो गया administration

क्या सच्चाई के लिए आवाज उठाने वालों का यही हश्र होता है, जैसा की मदर टेरेसा महिला कल्याण सेवा समिति के साथ हुआ। मंडे को हॉस्पिटल कैंपस में समिति के लोगों ने मरीजों के हक में प्रदर्शन कर स्वास्थ्य मंत्री के नाम एक ज्ञापन सीएमएस को सौंपा। समिति की ओर से अल्ट्रासाउंड मशीन और बच्चा चोरी को लेकर सुरक्षा खामियों पर ऑफिसर्स को खरी खोटी भी सुनाई। इन लोगों ने हॉस्पिटल स्टाफ पर रिश्वतखोरी और काम में लापरवाही बरते जाने संबंधी गंभीर आरोप भी लगाए। उनके आरोपों से नाराज हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने मौके पर खासी नाराजगी जताई।

हॉस्पिटल में लंबे समय से अल्ट्रासाउंड मशीन की जरूरत है। ये बात सही है कि जो मशीन भिजवाई गई थी उसमें ह्यूमन की जगह एनिमल यूज की थी। जब इसका पता चला तो उसे वापस भिजवा दिया गया। नई मशीन के लिए प्रमुख सचिव और एनआरएचएम से लगातार मांग की जा रही है।

डॉ। कीर्ति श्रीवास्तव, सीएमएस, डफरिन हॉस्पिटल