PATNA: बिहार के सरकारी और निजी पशु अस्पतालों में प्रदूषण नियम की धज्जियां उड़ रही हैं। इनमें से अधिकांश के पास बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का जैव अपशिष्ट प्रबंधन और निस्तारण का लाइसेंस नहीं है। बोर्ड ने नियम के उल्लंघन को गंभीरता से लिया है और पशु निदेशालय को बिना लाइसेंस चल रहे वेटेनरी हॉस्पिटल को बंद करने की चेतावनी दी है।

जैव अपशिष्ट की वजह से बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए केन्द्र ने 2016 में इसके लिए नियम बनाया। इसके तहत सभी वेटेनरी हॉस्पिटलों एवं केन्द्रों के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जैव चिकित्सा अपशिष्ट का प्रबंधन एवं निस्तारण का लाइसेंस लेना अनिवार्यता हो गया।

विभाग के निर्देश को लेकर अफसर नहीं हुए गंभीर

केन्द्र के निर्देश पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा जिला के पशुपालन पदाधिकारियों को वेटेनरी हॉस्पिटल के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लाइसेंस लेने को सुनिश्चित करने को कहा गया। विभाग के निर्देश को किसी भी जिले के पशुपालन पदाधिकारी द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया। हालत यह है कि 1138 सरकारी वेटेनरी हॉस्पिटलों से निकलने वाले अपशिष्टों के प्रबंधन एवं निपटारे की कोई व्यवस्था नहीं है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लाइसेंस के बिना अस्पताल का संचालन गलत है। अफसरों को पशु अस्पताल एवं केन्द्रों से निकलने वाले जैव अपशिष्टों का प्रबंधन एवं निपटान के निर्देश दिए हैं। बोर्ड से लाइसेंस प्राप्त होने की जानकारी निदेशालय को उपलब्ध कराने को भी कहा गया है।

विनोद सिंह गुंजियाल, निदेशक पशुपालन निदेशालय