मानसिक रुप से विकलांग एवं मंदबुद्धि बच्चों को विकलांग के बजाए दिव्यांग कहना अधिक उचित है क्योंकि इनमें ऐसी दिव्य क्षमतायें हैं जिससे वे अपनी उन दिव्य प्रतिभाओं को उजागर कर सामान्य लोगों की तरह जी सकते हैं। यह कहना है दिव्यांग बच्चों के लिए आयोजित दीपशिखा मेले में डॉ। तुलसी का। उन्होंने कहा कि अगर दिव्यागों को समझना है तो इनके प्रति विकलांग सोच को बदलना होगा। दीपशिखा मेले को बोझ न समझकर उपहार समझना होगा। मेले का आकर्षण इन बच्चों द्वारा बनाई गई विभिन्न गणेश-लक्ष्मी, दीये, मोमबत्तियां, पेन्टिंग आदि हैं, जिन्हें खरीदकर हमे इनका उत्साहवर्धन करना चाहिए। कार्यक्त्रम के चीफ गेस्ट जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी राजेश मिश्र एवं विशिष्ट अतिथि अलिजाबेथ बर्नाड रहीं।