अटल आयुष्मान योजना के तहत मिलने वाली सुविधाओं का विस्तार

देहरादून: अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त ओपीडी का लाभ मिलेगा। यही नहीं, वह निजी पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी केंद्रों पर भी मुफ्त जांच करा पाएंगे। इसके अलावा सूचीबद्ध दुकानों से दवा लेने की भी निशुल्क सुविधा होगी।

26 जनवरी से दूसरा चरण

राज्य सरकार ने 25 दिसंबर को अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत प्रदेश के साढ़े 17 लाख परिवारों को पांच लाख रुपये सालाना कैशलेस उपचार की सुविधा मिलेगी। अब 26 जनवरी से योजना का दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है। जिसमें सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को असीमित उपचार की सुविधा मिलेगी।

वेतन में से कटेगा शेयर

राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने बताया कि अटल आयुष्मान योजना के तहत राज्य के करीब तीन लाख सरकारी कर्मचारियों व पेंशनरों के वेतन व पेंशन से हर माह अंशदान कटेगा। क्लास-वन कर्मियों को 400 रुपये, क्लास-टू को 300 रुपये, सीनियर क्लास-थ्री को 200 रुपये और क्लास-थ्री को 100 रुपये प्रतिमाह की दर से अपना अंश देना होगा। पेंशनरों के लिए अभी 200 रुपये प्रतिमाह तय किया गया है। हालांकि पेंशन धनराशि के आधार पर अंश के अलग-अलग स्लैब बनाने पर विचार किया जा रहा है। सरकारी कर्मचारियों के लिए देशभर में चिह्नित अस्पतालों में इलाज कराने की सुविधा होगी।

ऐसे मिलेगा वार्ड

क्लास-थ्री स्तर के कर्मियों को अस्पतालों में सामान्य वार्ड में भर्ती की सुविधा मिलेगी। सीनियर क्लास-थ्री कर्मचारियों को सेमी प्राइवेट स्तर की सुविधा मिलेगी। क्लास-टू कर्मचारी प्राइवेट वार्ड में भर्ती होंगे, जबकि क्लास-वन कर्मचारियों को डीलक्स वार्ड की सुविधा मिलेगी।

पुरानी बीमारियां भी कवर

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में प्रीएक्जीसस्टिंग यानि पुरानी बीमारियां भी कवर होंगी। निजी बीमा पॉलिसी धारक को यह सुविधा नहीं मिलती है। योजना से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में इस योजना का वृहद स्तर पर आमजन को लाभ मिलने लगेगा।

भुगतान में नहीं होगी देरी

भुगतान को लेकर किसी तरह की दिक्कत न आए इसलिए इंप्लीमेंटेशन सप्लीमेंट एजेंसी का गठन किया गया है। इसी एजेंसी के अप्रूवल से संबंधित अस्पताल को भुगतान किया जाएगा। समयबद्ध भुगतान के लिए मय ब्याज भुगतान का प्रावधान किया गया है। 15 दिन के भुगतान न होने की स्थिति में अस्पतालों को एक प्रतिशत ब्याज दर से भुगतान होगा। इसी तरह पूरे साल भुगतान न होने पर 24 प्रतिशत की दर से भुगतान का प्रावधान किया गया है। इस ब्याज को भुगतान में देरी करने वाले अधिकारी व कर्मचारी से वसूलने का प्रावधान किया है।