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LUCKNOW : सुधा ने दोनों हाथ जोड़ कर सीएम से एक ही मांग की कि वह अपने 'घर' में नौकरी करना चाहती हैं। जिस पर गवर्नर और सीएम ने उसने कहा कि कैश अवार्ड आपका अधिकार है व नौकरी भी जल्द मिलेगी। इसके बाद सुधा ने अवार्ड लिया। बताते चलें कि इसी साल जकार्ता एशियन गेम्स पदक जीतने पर सुधा सिंह को 30 लाख रुपये के कैश पुरस्कार से सम्मानित किया जाना था।

रोते हुए की फरियाद
अवध शिल्प ग्राम में आयोजित खिलाडिय़ों के सम्मान समारोह के दौरान जब सुधा सिंह मंच पर पहुंची तो उन्होंने कैश प्राइज लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने राज्यपाल और राम नाईक से रोते हुए फरियाद की कि उन्हें यह कैश प्राइज नहीं चाहिए। वे चाहे तो यह प्राइज रखे ले, बस उन्हें अपने 'घर ' में नौकरी दे दे। एशियन गेम्स में पदक लाने वाले खिलाडिय़ों को राजपत्रित नौकरी दिए जाने का शासनादेश हैं। इसके बावजूद वह नौकरी के लिए भटक रही हैं। वह अकेली अब तक ऐसी महिला खिलाड़ी है जो दो बार एशियन गेम्स में मेडल ला चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मेरा एक ही ख्वाब है कि मैं अपने घर में वापसी कर सकूं। जब उन्होंने घर में नौकरी के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री से फरियाद की तो उन्होंने आश्वासन दिया कि इस कैश प्राइज पर भी तुम्हारा अधिकार है और नौकरी भी जल्द ही मिल जाएगी।
 
खेल विभाग में नौकरी करना ही मेरा सपना है। इस सपने को पूरा करने के लिए मैने दिन रात मेहनत की है। सीएम ने मुझे प्रदेश में नौकरी के लिए आश्वासन दिया है।
- सुधा सिंह, इंटरनेशनल एथलीट
 
मंच पर प्राइज से इंकार करना अशोभनीय है। इससे अन्य खिलाडिय़ों में गलत मैसेज जाएगा। लोग अपनी बाते मनवाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाएंगे। खिलाडिय़ों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है और वे ही इसे तोड़ रहे हैं।
- आनन्देश्वर पाण्डेय, कोषाध्यक्ष, भारतीय ओलम्पिक संघ

 कब कब बढ़ाया मान

- 2010 में इंचियोन एशियन गेम्स में 3000 मीटर स्टीपल चेज में स्वर्ण
- 2018 में जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में रजत पदक जीता।

रिक्शाचलाने वाले की बेटी स्वप्ना बर्मन एशियन गेम्स में जीत लाई गोल्ड

 

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