बीते कुछ महीनों में पुलिस टीम पर बढ़े हमलों के मामले

लोकल पुलिस को सूचना दिए बिना दबिश डालती है बाहर की पुलिस

Meerut। बीते एक महीने में पुलिस पर कई बार जानलेवा हमले हो चुके हैं, जिससे पुलिस की जमकर किरकिरी हुई है। ऐसे में सवाल है कि शहर की सुरक्षा का जिम्मा अब कौन संभालेगा। इस बाबत एसएसपी अखिलेश कुमार का कहना है कि पुलिस पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

दरोगा की पिटाई का मामला

भाजपा पार्षद मनीष पंवार केहोटल पर दबगई कर रहे मोहिउ्दीनपुर चौकी इंचार्ज सुखपाल की पिटाई का मामला मीडिया की सुर्खियां बन गया था। एक तरफ दरोगा के गाल पर पार्षद के थप्पड़ की गूंज लखनऊ तक पहुंची तो दूसरी तरफ भाजपा नेता व पुलिस आमने-सामनेा गई थी।

पुलिस पर आरोप

पुलिस शक के आधार पर किसी भी आम व्यक्ति के घर पर दबिश डाल देती है।

दबिश के दौरान पुलिस परिवार से मारपीट व लूटपाट भी करती है।

दबिश के दौरान वांछित घर पर न मिलने से अन्य महिलाओं के साथ भी बदसलूकी करती है।

दबिश के दौरान घर में मिलने वाले सोने के आभूषण, नकदी व घर के अंदर खड़े वाहन तक अपने साथ ले जाती है।

सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर भी निकाल लेती है।

ज्यादातर पुलिस रात दो बजे के बाद ही दबिश डालती है।

क्या है नियम

प्रत्येक पुलिस अधिकारी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय अपने नाम की नेम प्लेट स्पष्ट रूप से धारण करेगा।

पुलिस अधिकारी यह निश्चित करेगा कि उक्त व्यक्ति, जिसे वह गिरफ्तार कर रहा है वह कानून का उल्लंघन कर चुका है या करने की तैयारी कर रहा है।

अगर गिरफ्तारी अपराध घटित होने के बाद हो रही है तो पुलिस अधिकारी घटना की रिपोर्ट तैयार करेगा, तभी उस व्यक्ति को गिरफ्तार करेगा।

पुलिस अधिकारी अभियुक्त को गिरफ्तारी के 24 घंटे में किसी बड़े पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करेगा।

सूर्यास्त के बाद किसी महिला की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। यदि रात में उसके भागने का खतरा हो तो उसको नजरबंद किया जा सकता है।

गिरफ्तारी के समय हथकड़ी न लगाई जाए। हथकड़ी सिर्फ मजिस्ट्रेट के सामने लगाई जाए।

क्या कहते हैं अधिवक्ता

पुलिस दबिश डालने के लिए हमेशा कानून तोड़ती है। ऐसा ही सलालपुर में देखने को मिला। बिना वर्दी के पुलिस ने गांव में प्रधान के घर दबिश दी, जिससे पुलिस पर हमला हुआ।

देवकी नंदन शर्मा, महामंत्री, मेरठ बार एसोसिएशन

दबिश के दौरान पुलिस पर गुंडागर्दी के आरोप लगते हैं। जिससे आम पब्लिक दहशत में आ जाती है। पुलिस के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं होती है। पुलिस को किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए कानून का पालन करना चाहिए।

राजेंद्र जानी, अध्यक्ष, मेरठ बार एसोसिएशन

अगर पुलिस नियमानुसार किसी के घर दबिश डालने जाए तो कभी पुलिस पर हमला नहीं हो सकता है।

अनिल बक्शी, पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन व वरिष्ठ अधिवक्ता

समाज में पुलिस की छवि खराब होती जा रही है। पुलिस मुल्जिमों से मिल जाती है और बेकसूर लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज देती है।

हरिओम शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता

पुलिस की पिटाई के मामले

13 नवंबर 2018

गंगानगर थाना क्षेत्र के सलालपुर में गांव के प्रधान के घर पर क्राइम ब्रांच व सदर थाने के दरोगा ने गांव के प्रधान के घर चोरी की बुलेट की सूचना पर छापेमारी की थी। प्रधान व उनके साथियों के साथ पुलिस पर हमला कर दिया था। उनके उपर पालतू कुत्ते छोड़ दिए थे। जिसके बाद पुलिस ने प्रधान व उसके बेटे को गिरफ्तार करके जेल भी भेज दिया था।

13 नवंबर 2018

लिसाड़ी गेट में पुलिस ने एक गोकश के घर पर दबिश डाली थी। वहां पर गोकशों ने पुलिस पर हमला कर दिया था।

13 नवंबर 2018

महताब सिनेमा के पास चरस की सूचना पर तसलीम के घर पर सदर पुलिस ने दबिश डाली थी। दबिश के दौरान सदर पुलिस की जमकर पिटाई की गई थी।

13 नवंबर 2018

लावड़ में दबिश डालने गई एसओजी गाजियाबाद की जमकर पिटाई की गई। वह किसी तरह अपनी जान बचाकर भागी।

12 नवंबर 2018

लिसाड़ी गेट के शकूर नगर में एक व्यक्ति को बचाने गई पुलिस पर लोगों ने पथराव कर दिया था। जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था।

11 नवंबर 2018

मंगतपुरम पर शराब माफिया रमेश प्रधान के घर छापेमारी करने गए एसपी सिटी समेत कई पुलिस कर्मियों पर लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया था। रमेश प्रधान ने अपने साथियों के साथ पुलिस पर पहले पथराव किया और फिर पांच राउंड फायरिंग की थी।

19 अक्टूबर 2018

होटल में दबंगई कर रहे दरोगा सुखपाल की होटल संचालक व भाजपा पार्षद मनीष पंवार ने जमकर पिटाई की थी। जिसका वीडियो भी वायरल हो गया था। पुलिस ने भाजपा पार्षद मनीष पंवार को जेल पहुंचा दिया था। हालांकि बाद में पार्षद को जमानत मिल गई।