- मुन्ना के करीबियों में शुमार संजीव महेश्वरी और राकेश पांडे पर नजर

- धनंजय पर था मुख्तार गैंग का निशाना, बजरंगी की हत्या से लगा झटका

- मुन्ना की हत्या में नामजद एक आरोपी पर भी घूम रही शक की सुई

 

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LUCKNOW: करीब तीन साल पहले सुल्तानपुर जेल में बंद माफिया मुन्ना बजरंगी और कुख्यात अपराधी राकेश पांडे की कारगुजारियों से यूपी एसटीएफ के अफसर भी परेशान थे। जेल से मोबाइल के जरिए ठेके-पट्टों का मैनेजमेंट, वसूली और रंगदारी के मामलों की एसटीएफ को पल-पल की जानकारी मिल रही थीं और इस बाबत संबंधित जिले की पुलिस को लगातार आगाह भी किया जा रहा था। सरकार बदलने के साथ दोनों की मुश्किलों में अचानक इजाफा होने लगा और मुन्ना को पूर्वाचल से सैंकड़ों किमी दूर की जेल भेज दिया गया। यह वक्त उसके विरोधियों के लिए बेहद मुफीद साबित हुआ और पूर्वाचल के अंडरव‌र्ल्ड में नये समीकरण बनने लगे। मुन्ना की मौत के बाद एक बार फिर पूर्वाचल के माफिया गिरोह लामबंद होने लगे हैं।

 

उन्नाव से लेकर बांदा तक खलबली

मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद उन्नाव से लेकर बांदा जेल तक खलबली मची हुई है। वहीं वाराणसी जेल में बंद ब्रजेश सिंह की वजह से अफसरों को डर है कि कहीं अगला हमला वहां न हो जाए। ध्यान रहे कि बांदा जेल में मुख्तार अंसारी तो उन्नाव जेल में राकेश पांडे बंद हैं। इन दोनों जेलों में भी पैनी नजर रखी जा रही है ताकि किसी तरह की साजिश रचे जाने पर उसका पता लगाया जा सके। खास बात यह है कि मुख्तार और ब्रजेश के बीच की दुश्मनी ने बीते एक साल के भीतर कई नये समीकरणों को जन्म दिया है। पुलिस अफसरों की मानें तो थोड़ा मनमुटाव होने के बावजूद मुख्तार के अहम कामों को मुन्ना बजरंगी ही पूरा करता था। हालांकि अपने साले पुष्पजीत और करीबी तारिक की हत्या के बाद मुन्ना ने लोगों से मिलना-जुलना कम कर दिया था। वहीं झांसी जेल भेजे जाने के बाद उसके कुछ करीबी भी दूसरे गैंग के लिए काम करने लगे थे। इसी वजह से वह झांसी जेल में परिजनों के अलावा बाकी लोगों से मिलने से कतराने लगा था। अब मुन्ना की मौत के बाद मुख्तार और ब्रजेश के गैंग के सदस्यों में दोस्ती और दुश्मनी के नये समीकरण बनने की आशंका भी जताई जा रही है।

 

24 घंटे पहले का घटनाक्रम अहम

पूर्वाचल के माफिया मुन्ना बजरंगी की बागपत हत्या का जेल में किस तरह बुना गया, इसे पता लगाने के लिए पुलिस और एसटीएफ हत्या से चौबीस घंटे पहले जेल में हुई गतिविधियों की गहनता से पड़ताल कर रही है। सूत्रों की मानें तो मुन्ना के बागपत जेल में आने से चंद घंटों पहले सुनील राठी से दो सफेदपोशों ने मुलाकात भी की थी। जेल अधीक्षक पर राठी का इतना दबाव था कि वह उससे मिलने आने वालों का कोई रिकॉर्ड तक नहीं दर्ज होता था। फिलहाल पुलिस की नजरें अब राठी के मुलाकातियों के साथ बीते 24 घंटों के दौरान जेल परिसर से फोन पर हुई बातचीत पर टिकी है जिससे उन्हें कोई अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।

 

कैसे बढ़ी धनंजय से दुश्मनी

कभी लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र रहे धनंजय सिंह और अभय सिंह के बीच गहरी दोस्ती हुआ करती थी। समय बीतने के साथ दोनों के बीच कुछ मनमुटाव हुआ और अभय ने मुख्तार अंसारी से करीबियां बढ़ा ली। कुछ साल पहले लखनऊ के कैंट इलाके में हुई एक क्रॉस फायरिंग की घटना के बाद धनंजय सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए जमकर पैरवी की जिसके बाद दुश्मनी का सिलसिला शुरू हो गया। तत्पश्चात ठेकों आदि में धनंजय और मुख्तार के बीच तनातनी बढ़ती चली गयी।

 

अफसरों में चल रही रार

वहीं जिस पिस्टल से मुन्ना बजरंगी को मारा गया, वह सुनील राठी तक कैसे पहुंची, इसे लेकर पुलिस अफसरों और जेल अधिकारियों के बीच रार शुरू हो गयी है। दरअसल सुनील राठी ने दावा किया था कि मुन्ना झांसी जेल से पिस्टल लेकर आया था। जबकि पुलिस अफसरों का मानना है कि राठी ने जेल में पिस्टल को मंगाया था। यह भी पता लगाया जा रहा है कि जेल में एक के बजाय दो पिस्टल तो नहीं मंगाई गयी थी।

 

जेल से भागने की फिराक में था राठी

पूर्ववर्ती सपा सरकार में सुनील राठी समेत करीब पचास से ज्यादा अपराधी जेल से भागने की फिराक में थे। एसटीएफ ने इसकी भनक लगने के बाद शासन को अपनी एक रिपोर्ट भी भेजी थी, साथ ही संबंधित जेल अधिकारियों को भी इस बाबत आगाह किया था। इसके बाद जेल में कुछ सख्ती बरतनी शुरू हुई पर बाद में फिर से जेल से गैंग ऑपरेट होने लगे।