- मनीषा मंदिर बाल संरक्षण गृह में बाल कल्याण समिति व जिला बाल संरक्षण इकाई ने छापा मार 14 बच्चियों को किया रेस्क्यू

- कई अवॉर्ड से हो चुकी सम्मानित संचालिका का दूसरा चेहरा आया सामने

14 बच्चियों को रेस्क्यू किया

08 को बाल गृह शिशु भेजा गया

06 को मोती नगर बालिका संरक्षण गृह भेजा

<- मनीषा मंदिर बाल संरक्षण गृह में बाल कल्याण समिति व जिला बाल संरक्षण इकाई ने छापा मार क्ब् बच्चियों को किया रेस्क्यू

- कई अवॉर्ड से हो चुकी सम्मानित संचालिका का दूसरा चेहरा आया सामने

 बच्चियों को रेस्क्यू किया

08 को बाल गृह शिशु भेजा गया

0म् को मोती नगर बालिका संरक्षण गृह भेजा

lucknow@inext.co.in
LUCKNOW : 'मैम हम लोगों को बहुत मारती हैं, प्लीज हमें यहां से ले चलो.' यह बोल हैं मनीषा मंदिर बाल संरक्षण गृह में रह रही बच्चियों के। यह बच्चियां बाल संरक्षण गृह में छापा मारने पहुंचीं बाल कल्याण समिति और जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारियों से रूबरू थीं। इस दौरान बच्चियों ने अपनी आप बीती बताई तो राजीव गांधी मानव सेवा अवार्ड, मदर इंडिया अवार्ड, नेशनल अवार्ड फॉर चाइल्ड वेलफेयर समेत तमाम अवार्ड की विनर और संरक्षण गृह की संचालिका डॉ। सरोजनी अग्रवाल का जो चेहरा सामने आय उसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। देवरिया कांड के बाद से बेहद सतर्कता बरत रहे अधिकारियों ने इन क्ब् बच्चियों की आपबीती सुनने के बाद वहां से रेस्क्यू कर दूसरी जगहों पर भेज दिया।

निरीक्षण में भी मिली थी खामियां
करीब एक माह पहले बाल कल्याण समिति की टीम ने मनीषा मंदिर बाल संरक्षण गृह का औचक निरीक्षण किया था, जिसमें कई खामियां पाई गई थी। वहां पर सुरक्षा के इंतजाम न होने के साथ पढ़ने की व्यवस्था न होना, खाने की गुणवत्ता में कमी, गंदे बाथरूम समेत कई समस्याएं देखने को मिली थी। जिसके बाद बाल कल्याण समिति के आदेश के बाद शनिवार को टीम ने दोबारा छापा मारकर बच्चों को रेस्क्यू कराया। शनिवार को मनीषा मंदिर बाल संरक्षण गृह में बाल कल्याण समिति जिला बाल संरक्षण इकाई ने गोमती नगर पुलिस के साथ छापा मार वहां मौजूद क्ब् बच्चियों को रेस्क्यू किया। इनमें से आठ को बाल गृह शिशु में व म् को मोती नगर बालिका संरक्षण गृह भेज दिया गया।

मिली थीं खामियां
- सुरक्षा के इंतजाम नहीं थे इंतजाम

- पढ़ने की व्यवस्था नहीं थी व्यवस्था

- खाने की गुणवत्ता में कमी

- काफी गंदे मिले बाथरूम

बच्चों ने कर दिया इंकार
रेस्क्यू के दौरान जब संचालिका ने अधिकारियों के सामने बच्चियों से पूछा कि वे यहां पर रुकना चाहती हैं या नहीं, तो बच्चियों ने साफ इंकार कर दिया। इस दौरान बच्चियों ने बताया कि संरक्षण गृह में उन्हें भरपेट खाना नहीं मिलता। उन्होंने बताया कि साफ सफाई का सारा काम उन्हीं से करवाया जाता था। यहां तक कि गंदे बाथरूम भी इन्हीं बच्चियों को साफ करने पड़ते थे। बच्चियों ने बताया कि अगर कोई इसका विरोध करता था तो संचालिका उसकी पिटाई कर देती थी। संरक्षण अधिकारी हस्मा जुबैर ने बताया कि मनीषा मंदिर बाल संरक्षण गृह में बहुत कमियां पाई गई है। जिसके बाद यहां पर कार्रवाई की गई। बच्यिों को बेहद गंदे कमरों में रहने को मजबूर किया जाता था। उन्हें पहनने के लिये ढंग के कपड़े भी नहीं दिये जाते थे।

बेटी की याद में खोला था बाल गृह
मनीषा मंदिर बाल संरक्षण गृह की संचालिका डॉ। सरोजनी अग्रवाल ने अपनी बेटी मनीषा की याद में इसकी स्थापना की थी। दरअसल, उनकी बेटी की बहुत कम उम्र में एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। बेटी की मौत के बाद उन्होंने क्98ब् में इसकी स्थापना की थी। क्99ख् में गोमती नगर में तीस हजार वर्ग फीट के भवन में इसका संचालन शुरू किया। जहां पर वे बच्चियों को अपनी बेटी की तरह रखने का दावा करती थी।

फल खुद रख लेती थी
छापा मारने वाली टीम में शामिल सदस्य डॉ। सुनीता शर्मा के मुताबिक, बच्चियों ने बताया कि नवरात्रि के दौरान अगर कोई संरक्षण गृह में कन्या खिलाने आता था तो संचालिका सुनीता अग्रवाल बच्चियों को दिया गया सामान व फल खुद रख लेती थीं। उन्होंने बताया कि बच्चियों की सुरक्षा के लिए भी संरक्षण गृह में कोई इंतजाम नहीं थे। संरक्षण गृह में शासन द्वारा तय मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। जिसके चलते यह कार्रवाई की गई।

बच्चों का नहीं होता था इलाज
सीडब्ल्यूसी की मेंबर डॉ। सुनीता शर्मा ने बताया कि जो बच्चे रेस्क्यू कर के लाएं गये हैं, उनमें से कई बच्चों के फोड़े व बड़े बड़े दाने तक निकले हुए हैं। जिनका कोई इलाज तक नहीं करवाया गया। दर्द से कराहते बच्चों का इलाज करवाने के बजाएं उनसे काम करवाया जाता था। एक भी स्टाफ तक नहीं था। वहीं बच्चों को खाने तक नहीं मिलता था।