-सीएम नीतीश कुमार ने बैंकों से पूछे सवाल, हमारा पैसा दक्षिण और पश्चिम के राज्यों को क्यों भेज रहे

-2018-19 के लिए राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की हुई बैठक

क्कन्ञ्जहृन्: सीएम नीतीश कुमार ने बैंक अफसरों से पूछा हमारा पैसा दूसरे राज्यों को क्यों भेज रहे? बिहार में ऋण देने में तेजी लाएं। सीएम शनिवार को वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की पहली बैठक में बोल रहे थे। जबकि डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत सरकार के स्तर पर जो राशि लाभुकों के लिए बैंकों को आरटीजीएस की जाती है उसे लाभुक के खाते में भेजने के तुरंत बाद एसएमएस अलर्ट से सूचना दी जाएगी। डिप्टी सीएम बैठक के बाद पीसी में यह जानकारी दी। सुमो ने कहा कि पिछले दिनों एक पेट्रोल पंप के मालिक आए और कहा कि दस लाख रुपए के सिक्के बैंक ले नहीं रहे। इस बीच रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक टोपनो ने कहा कि बैंकों द्वारा सिक्के लिए जाने को लेकर कोई सीलिंग नहीं हैं। जितना चाहे बैंक में सिक्के जमा कर सकते हैं।

गांवों में ब्रांच खोलने पर मुफ्त में जगह उपलब्ध

सीएम ने बिहार से कमाया हुआ पैसा दक्षिण और पश्चिम के राज्यों में निवेश करने की बैंकों की प्रवृत्ति पर सख्त हिदायत दी। कहा कि बिहार के लोग पैसा पचाना नहीं पसंद करते। ऋण-जमा अनुपात कम से कम पचास परसेंट तक तो लाएं। सीएम ने घोषणा की कि गांवों में ब्रांच खोलने पर बिहार सरकार बैंकों को मुफ्त जगह उपल?ध कराएगी। सीएम ने कहा कि विकसित राज्यों का ऋण-जमा अनुपात 100 परसेंट से भी अधिक है। बिहार का अभी 50 परसेंट भी नहीं पहुंचा है। बैंकों से मोटी ऋण राशि लेकर बड़े-बड़े लोग भारत से बाहर भाग गए और बिहार में गरीब छात्रों के शिक्षा ऋण में बैंकों ने दिलचस्पी नहीं ली। पांच हजार करोड़ का ऋण लेने वाले भाग गए और बिहार में विद्यार्थी को एक लाख रुपए का शिक्षा ऋण नहीं मिला।

एसीपी की उपलब्धियों पर एक नजर

-बैंकों ने 1.96 लाख सहायता समूहों को ऋण दिया जो लक्ष्य का 99 प्रतिशत है।

-मुद्रा योजना के तहत 9598 करोड़ रुपए के ऋण वितरित हुए जबकि लक्ष्य 5,375 करोड़ का था। वर्ष 2015 से अब तक 30 लाख, इक्कीस हजार, 316 करोड़ इस योजना के तहत बंटे हैं।

-प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत बिहार में 63 लाख खाते खुले जिसमें 3 करोड़, 4 लाख रुपए जमा हैं। 54 लाख, 76 हजार का बीमा हो चुका है।