RANCHI: आसानी से बैंकों द्वारा लोन प्रदान करने के कारण सिटी के कई लोगों ने बैंकों से कर्ज तो ले लिया है लेकिन उसे चुका पाने में नाकाम हो रहे हैं। इन लोन डिफॉल्टर्स की तलाश में अब सिटी के कई दबंग लगे हुए हैं। दरअसल कई निजी बैंकों ने लोन रिकवरी और कलेक्शन का काम निजी एजेंसियों को दे दिया है। इन निजी एजेंसियों के लोग कुछ दबंग युवकों के ग्रुप द्वारा कलेक्शन और फिर रिकवरी का काम करवाते हैं। इस ग्रुप को डिफाल्टर्स की सूची दे दी जाती है साथ ही हर कलेक्शन पर कमिशन भी दिया जाता है। इस आकर्षक कमिशन के कारण सिटी के कई बेरोजगार युवा लोन रिकवरी के लिए हर हद से गुजरने को तैयार हो जा रहे हैं, जिसके कारण कई गैरकानूनी कार्य भी किए जा रहे हैं।

लोन भुगतान में देरी पर क्या है नियम

भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, अगर लगातार 90 दिनों तक लोन के संबंध में किसी भी राशि या ईएमआई का भुगतान नहीं किया जाता है तो इसे नॉन परफ ार्मिंग एसेट्स (एनपीए) मान लिया जाता है। ऐसी स्थिति में बैंक खाताधारक को एक नोटिस भेजेगा, जिसमें कहा जाएगा कि वो लोन की कुल राशि का भुगतान एक बार में कर दे। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो बैंक आपको कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दे सकता है और कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

सड़क से खींच लेते हैं गाड़ी

कार लोन के डिफाल्टर से दबंग युवकों द्वारा बीच सड़क पर गाड़ी खंीच लेने के मामले सामने आ रहे हैं। कई लोगों की गाडि़यों को पार्किग से डुप्लीकेट चाबी के जरिए उठा लिया गया। कई ऐसे भी लोग हैं जिन्हें परिवार के साथ बीच सड़क पर युवकों के ग्रुप ने उतार दिया और कार लेकर चले गए। बाद में पता चला कि लोन डिफाल्ट के कारण बैंक ने गाड़ी खींच ली है।

होम लोन न चुकाने पर क्या

लोन न चुका पाने की सूरत में पहले तो बैंक एक नोटिस भेजता है। पहले लीगल नोटिस भेजे जाने के दो महीने बाद लोन का भुगतान न करने के पांच महीने बाद बैंक दूसरी नोटिस भेजता है। बैंक इस नोटिस के जरिए आपको बताता है कि आपके घर की कुल कीमत कितनी है और इसे नीलामी के लिए कितनी कीमत पर रखा गया है। घर की नीलामी की तारीख भी निश्चित होती है जो कि आमतौर पर दूसरा नोटिस भेजे जाने के एक महीने बाद की होती है। आमतौर पर आवासीय ऋ ण के अधिकतर मामले एनपीए से जुड़े हुए नहीं होते हैं। इसलिए बैंक ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई नहीं करते हैं बल्कि खाताधारक पर लगातार दबाव बनाते रहते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व जेनरल मैनेजर उदय शंकर भार्गव ने बताया कि बैंक पहले तो होम लोन के गारंटर को एक वार्निंग नोटिस भेजता है। इस नोटिस का जवाब न मिलने की सूरत में बैंक सिक्योरिटाइजेशनएक्ट के तहत संपत्ति को कब्जे में ले लेता है। संपत्ति को कब्जे में लेने के बाद उसकी नीलामी कर लोन की राशि भुना ली जाती है। वहीं अगर पर्सनल लोन के मामले में कोई ऐसा करता है, यानी लोन नहीं चुकाता है तो सिविल में उसके खिलाफ शिकायत कर दी जाती है। इस शिकायत के बाद उक्त व्यक्ति देश के किसी भी बैंक से लोन पाने का हकदार नहीं रह जाता है।

वर्जन

बिना पुलिस को सूचना दिए किसी भी तरह का शक्तिप्रदर्शन या जबरन वाहन खींचना गैरकानूनी होगा। इसके लिए पहले प्रशासन को डिफॉल्टर्स की सूची भेजकर की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में जानकारी देना जरूरी है। इस तरह के मामले अगर पुलिस के पास आए तो दबंगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अनीश गुप्ता, एसएसपी, रांची

केस स्टडी

हाइवे से ले गए ट्रक, ड्राइवर से धक्का-मुक्की

ट्रांसपोर्टर राधेश्याम सिंह का कहना है कि मैंने एक निजी बैंक से लोन पर गाड़ी निकाली है। कुछ पर्सनल प्राब्लम के कारण कुछ ईएमआई भुगतान में देर हो गई, जिसके कारण मेरा माल लदा ट्रक कुछ लड़कों ने हाइवे से अपने कब्जे में ले लिया। ट्रक के ड्राइवर के साथ धक्का-मुक्की भी की गई। जब मैं मामले की जानकारी देने पुलिस के पास गया तो पता चला कि गाड़ी बैंक वाले ले गए हैं।