- मानक पूरे करने में शहर के खिलाड़ी हुए फेल

- हॉस्टल चयन के लिए अंडर-15 का जिलास्तरीय हुआ था ट्रायल

बरेली : अभी हाल ही में शहर के स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में हॉस्टल चयन के लिए अंडर-15 का जिला स्तरीय ट्रायल का आयोजन हुआ था। बास्केटबॉल और वालीबॉल के लिए शहर का एक भी खिलाड़ी मानक तक पूरा नही कर सका। ट्रायल देने वाले खिलाडि़यों की लंबाई मानक के अनुसार न होने पर उन्हें बाहर कर दिया गया। इससे तो यह ही अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरे शहर में 170 सेमी् हाइट के एक भी खिलाड़ी नहीं है। या फिर शहर के खिलाडि़यों का रुझान बास्केटबॉल और वालीबॉल की तरफ नहीं है।

हॉस्टल सलेक्शन के यह हैं मानक

1. पुरुष वर्ग के लिए 170 सेमी। और महिला वर्ग के लिए 165 सेमी। लंबाई होनी चाहिए।

2. मुंह में 26 से कम दांत होने चाहिए।

3. अंडर 15 के ट्रायल में प्रतिभाग करने वाला खिलाड़ी कक्षा नौ में पढ़ता हो।

मानकों में होता रहता है बदलाव

खेल निदेशालय की ओर से मानकों में बदलाव किया जाता है। इसका पता खिलाडि़यों को नहीं लग पता, जिस वजह से वह मानक के अनुरूप खुद को तैयार नहीं कर पाते। वहीं खिलाडि़यों पर ठीक कोचिंग नहीं मिल रही है। अगर उनकी तैयारी में कोच व विभाग के जिम्मेदारों ने ध्यान दिया होता तो शायद ऐसा नहीं होता। बास्केटबॉल और वालीबॉल के मानक एकसमान होने के चलते इन दोनों गेम के खिलाड़ी अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

रोज नहीं होती प्रैक्टिस

अगर वर्ष 2000 से लेकर 2014 तक की बात करें तो स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में प्रैक्टिस करने वाले कई खिलाडि़यों ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन किया है। वर्तमान में वास्केटबॉल में 30 और वॉलीबाल में 35 खिलाड़ी स्टेडियम में पंजीकृत तो हैं, लेकिन इक्का-दुक्का ही रोजाना प्रैक्टिस के लिए पंहुच रहे हैं।

पूर्व खिलाडि़यों से बात

मैं स्टेडियम और यूनिवर्सिटी दोनों की वालीबॉल की टीम में शामिल रहा। यूनिवर्सिटी स्तर पर कई पुरस्कार भी जीते। वर्तमान में स्टेडियम में वालीबॉल में खिलाडि़यों की संख्या घट रही है।

निशांत।

मानक बहुत ही सख्त हैं। इस कारण खिलाडि़यों का सलेक्शन नहीं हो पा रहा है। एक मुख्य वजह यह भी है कि उन्हें ट्रायल के लिए ठीक तैयारी भी नहीं मिल रही है।

अभिनव।

हम लोग यहां तीन वर्षो से प्रैक्टिस कर रहे हैं। अभी आयोजित हुए वालीबॉल के जिला स्तरीय ट्रायल में हमारा साथी प्रदीप ने प्रतिभाग किया था, लेकिन उसकी लंबाई मानक के विपरित होने की वजह से वह ट्रायल नहीं दे सका।

अभिषेक।

वर्जन ।

स्टेडियम में हर खेल के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। ट्रायल में मानक के चलते सलेक्शन होना है। शहर के कई खिलाडि़यों ने प्रतिभाग किया, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।

लक्ष्मी शंकर सिंह, आरएसओ।