- बारिश में आस पास एकत्र न होने दें पानी, डॉक्टर्स की सलाह पर लें दवा

LUCKNOW: बारिश के साथ ही मच्छरों का भी प्रकोप बढ़ रहा है। मच्छरों के कारण डेंगू, मलेरिया, दिमागी बुखार, सहित अन्य बहुत सी बीमारियां हो सकती हैं। हर साल इन बीमारियों के कारण ही कई दर्जन लोग राजधानी व आस पास में दम तोड़ देते हैं। इसलिए समय से इनके प्रति सतर्क रहना जरूरी है।

खतरनाक है डेंगू-मलेरिया

इस मौसम में सबसे गंभीर बीमार डेंगू है। यह मादा एडीज एजिप्टाई मच्छर के काटने से होता है। इसमें पेशेंट को शरीर तोड़ देने वाला बुखार आता है, जिसके साथ ही शरीर में चकत्ते पड़ जाते हैं। रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है। इसका तुरंत उपचार न किया जाए तो जान जा सकती है। इस मौसम में बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर से मिलकर सलाह लेनी चाहिए। मलेरिया मादा इनिफिलीज मच्छर के काटने से होता है। इसमें रोगी को तेज बुखार के साथ ठंड लगती है। डॉक्टर्स के अनुसार मलेरिया होने के शुरूआती लक्षणों में बुखार, कंपकपी और उल्टियां आना शामिल हैं।

बच्चों को दिमागी बुखार का खतरा

मेनिनजाइटिस या दिमागी बुखार बहुत ही खतरनाक संक्रामक रोग है, जो मेनिन्गोकोकस नामक जीवाणु से होता है। इसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन आ जाती है। दिमाग में सूजन को ही दिमागी बुखार या इंसेफ्लाइटिस कहते हें। यह बैक्टीरियल और वायरल दो प्रकार का होता है। इसमें भयंकर सिरदर्द, तेजबुखार, गर्दन में अकड़न, लाइट में बहुत तेज दर्द होना, उल्टी आना और कमजोरी की समस्या होती है। इससे बचाव के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें। संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें। सफाई का खास ख्याल रखें

क्या करें

-फुल बांह के ही कपड़े पहने

- मच्छरदानी का प्रयोग करें

घर के आसपास पानी न इकट्ठा होने दें।

कूलर के पानी को समय पर बदलते रहें।

डेंगू का मच्छर साफ पानी में पैदा होता है।

बर्तन, या अन्य चीजों में पानी एकत्र न रहने दें।

डेंगू से जरा बचकर

- डेंगू का लार्वा नमी मिलते ही सक्रिय होता है

- इसमें तेज बुखार डेंगू का लक्षण है

- इसमें जोड़ों में दर्द, मसल्स और हड्डियों में दर्द होता है

- शरीर पर लाल चकते पड़ना, सिरदर्द होना लक्षण हैं

- डेंगू में हल्की ब्लीडिंग भी हो सकती है।

बरतें सावधानी

- अपने आप न लें दवाएं

- बिना देरी के चिकित्सक से मिलें

- चिकित्सक की निगरानी में उपचार हो

- पानी व तरल पदार्थ लेना चाहिए।

- प्लेटलेट 20 हजार से कम होने पर ही ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराएं।