- सैकड़ों कॉलेजों में हजारों सीटें भरने में हांफ रहे हैं कॉलेज

- बीएड कॉलेजों की चालाकी से बचने को दी जा रही हिदायतें

- बीएड दो साल का होने के कारण कैंडीडेट्स की घटेगी संख्या

Meerut: यूपी में लखनऊ यूनिवर्सिटी द्वारा कंडक्ट कराए गए संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा-ख्0क्भ् की काउंसलिंग प्रक्रिया प्रदेश भर में चल रही है। इस बार बीएड कोर्स दो साल का होने के कारण काउंसलिंग सेंटर पर कैंडीडेट्स की संख्या काफी कम नजर आ रही है, जिसके चलते सेल्फ फाइनेंस बीएड कॉलेजों की स्थिति खराब होती दिख रही है। कॉलेज एडमिशन के लिए तरस रहे हैं।

यह है काउंसलिंग का सीन

बीएड के सभी कॉलेजों में काउंसलिंग शुरू हो चुकी है। जिसके लिए सेंटर बनाए गए हैं। मेरठ में भी दो सेंटर्स पर काउंसलिंग चल रही हैं। जहां सीसीएस यूनिवर्सिटी से संबद्ध सभी नौ जिलों के कॉलेजों की काउंसलिंग की जा रही है। काउंसलिंग शेड्यूल के अनुसार पांच जून से कैंडीडेट्स के डॉक्यूमेंट्स वेरीफिकेशन होने शुरू हो गए। पहले दिन एक से लेकर पांच हजार रैंक तक के कैंडीडेट्स के वेरीफिकेशन होने थे। इसके बाद छह जून को रैंक भ्00क्-क्ख्000 तक और सात जून को क्ख्00क् से ख्ख्000 तक के कैंडीडेट्स की काउंसलिंग होनी है।

काउंसलिंग के चरण

पांच, छह और सात जून को जिन कैंडीडेट्स के वेरीफिकेशन हुए आठ जून से उनके द्वारा कॉलेज च्वॉइस व लॉक करने की व्यवस्था है। यह पूरी काउंसलिंग नौ चरणों में होनी है। पहले चरण में टोकन आवंटन, दूसरे में डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन, तीसरे में काउंसलिंग शुल्क, चतुर्थ चरण में काउंसलिंग, पांचवे चरण में एनआईसी द्वारा कैंडीडेट्स को पिन आवंटित किया जाना, छठा चरण कैंडीडेट्स द्वारा कॉलेज का चुनाव, सातवां चरण कॉलेज आवंटन है और आठवां चरण बकाया शुल्क जमा किया जाना व कॉलेज कनफर्मेशन लेटर दिया जाना और नवें चरण में तीन दिन के अंदर कैंडीडेट्स को एडमिशन लेना होगा।

घट गए कॉलेज

सीसीएस यूनिवर्सिटी से संबद्ध बीएड कॉलेजों की संख्या पिछले साल फ्0भ् थी जो इस बार घटकर ख्90 रह गई। इसके बावजूद कॉलेजों में बीएड करने वाले स्टूडेंट्स नहीं मिल पा रहे। मेरठ में मौजूद सर छोटू राम इंजीनियरिंग कॉलेज और आईआईएमटी कॉलेज काउंसलिंग सेंटर बनाए गए हैं। जहां की स्थिति काफी चिंताजनक नजर आ रही है। पिछले तीन दिन में कैंडीडेट्स की संख्या पंद्रह सौ से अधिक नहीं पहुंची। जबकि पहली लिस्ट में मौजूद कैंडीडेट्स को सरकारी व एडेड कॉलेज मिल जाएगा। जहां बीएड सीट्स की काफी संख्या है। ऐसे में स्टूडेंट्स सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में जाने के बजाय सरकारी को चुनेगा।

किसी को न बताएं अपनी सीक्रेसी

इस बार कॉलेजों की हालत पिछले सेशन के मुकाबले काफी खराब है। कॉलेज एडमिशन को तरसते नजर आ रहे हैं। ऐसे में वे अपनी पुरानी चाल चलने के लिए तैयार हैं। जो कैंडीडेट्स से उसके पांच सौ रुपए के ड्राफ्ट नंबर और टोकन नंबर को जानने में लगे हैं। पिछली बार कॉलेजों ने किसी तरह कैंडीडेट्स से उनके सीक्रेट नंबर लेकर खुद ही कॉलेज लॉक कर दिए थे। जबकि कैंडीडेट्स को इस बारे में जानकारी भी नहीं थी। ऐसे में कई कॉलेजों के खिलाफ एफआईआर तक हुई। इसलिए पहले ही कैंडीडेट्स को चेताया जा रहा है कि वह अपनी सीक्रेसी किसी के सामने जाहिर न करें। ड्राफ्ट नंबर और टोकन नंबर किसी को न बताएं।

कोई कैंडीडेट्स अपना सीक्रेट नंबर, डीडी नंबर किसी को भी न बताएं। कॉलेज वालों से अपनी सीक्रेसी बचाकर रखें। ताकि कोई आपके नाम से कॉलेज लॉक न कर दें। पिछली बार कई कॉलेजों के खिलाफ एफआईआर हुई थी, इसके चलते स्टूडेंट्स को सलाह दी जाती है कि वह कॉलेजों के चक्कर में न पड़ें।

- डॉ। जे भारद्वाज, हेड कंट्रोल रूम बीएड काउंसलिंग