- साहित्य सम्मेलन में जयंती पर संगोष्ठी व काव्य पाठ आयोजित

PATNA: भारतेन्दु अत्यंत संवेदनशील कवि थे। उन्होंने अपने समय की समस्त समस्याओं को चिह्नित किया और उसे अपनी संवेदना और अभिव्यक्ति का विषय बनाया। उनके समग्र साहित्य से स्वदेश का प्रखर स्वर मुखरित होता है। उन्होंने देश और हिन्दी की उन्नति के विषय पर अनेक प्रकार से विचार किया और अपने साहित्य में प्रस्तुत किया। ये कहा बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित भारतेन्दु जयंती संगोष्ठी में सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने। इस मौके पर बी एन मंडल मधेपुरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो अमरनाथ सिन्हा ने व्यक्त किए। प्रो सिन्हा ने कहा कि विपुल साहित्य उसने अपना सारा वैभव हिन्दी पर न्योछावर कर दिया।

छोटी उम्र में ही ख्ब्8 पुस्तकें

अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव ने कहा कि भारतेंदु बाबू अवतारी साहित्यकार थे। उन्होंने फ्भ् वर्ष की छोटी आयु में ख्ब्8 पुस्तकें लिख डाली। संगोष्ठी में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मेजर बलबीर सिंह 'भसीन', सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त, डॉ शंकर प्रसाद, बलभद्र कल्याण, डा बी एन विश्वकर्मा, डा मेहता नगेन्द्र सिंह, अंबरीष कांत, हाजी सुल्तान अहमद तथा कृष्ण कन्हैया ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर कवि गोष्ठी का भी आयोजन हुआ। इसमें राज कुमार प्रेमी, मृत्युंजय मिश्र 'करुणेश', शायर नाशाद औरंगाबादी, शायर आरपी घायल, शायर आबिद नकबी, भगवती प्रसाद द्विवेदी, अर्चना त्रिपाठी, पं शिवदत्त मिश्र, राजीव कुमार परिमलेन्दु, डा नरेश पाण्डेय चकोर, सतीश प्रसाद सिंह, बच्चा ठाकुर, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, कमलेन्द्र झा 'कमल', शंकर शरण मधुकर, जगदीश राय, रामेश्वर राकेश, डा विनय विष्णुपुरी, डा लक्ष्मी सिंह, दिनेश दिवाकर, सागरिका राय, कृष्ण मोहन मिश्र, नेहाल सिंह 'निर्मल', कुमारी स्मृति, विकेश राज, आर प्रवेश आदि कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। संचालन योगेन्द्र मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रवक्ता अजय कुमार ने किया।