1- चालक परिचालक की सांठ-गांठ से रोडवेज की बसों से हो रही तस्करी

- रोडवेज प्रशासन के द्वारा नियमित चेकिंग न करने से कर रहे मनमानी

GORAKHPUR: चालक-परिचालक के द्वारा रोडवेज को चुना लगाना ये कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस कमाई से भी चालक-परिचालक का पेट नहीं भर रहा है और वे अपने फायदे के लिए तस्करी जैसे धंधे भी करने से परहेज नहीं कर रहे हैं। एक दिन पहले रोडवेज की बस में पकड़े गए प्रतिबंधित 493 तोते इस बात की तस्दीक के लिए काफी हैं कि इस समय रोडवेज की बसों में जमकर तस्करी का खेल चल रहा है। गोरखपुर डिपो की बस में एक साथ इतनी भारी मात्रा में प्रतिबंधित तोते वन विभाग की टीम द्वारा पकड़े जाने के बाद रोडवेज प्रशासन की कार्य प्रणाली पर प्रश्न उठने लगा है। वहीं गोरखपुर रीजन के अधिकारियों के भी हाथ पांव फुलने लगे हैं। जिसके बाद वे अधिक से अधिक गाडि़यों की चेकिंग में लग गए हैं।

किसके थे ये प्रतिबंधित तोते

गोरखपुर डिपो की बस नम्बर यूपी 53 सीटी 2608 लखनऊ से गोरखपुर के लिए गुरूवार की देर निकली। रास्ते में वन विभाग की टीम ने जब रोडवेज की बस को रोककर चेकिंग की तो कई डब्बों में बंद प्रतिबंधित 493 तोते बरामद हुए। जिसका कोई मालिक भी गाड़ी में सवार नहीं था। वन विभाग की टीम ने फौरन गाड़ी सहित चालक-परिचालक को अपनी कस्टडी में ले लिया। जिसके बाद चालक परिचालक को मजिस्ट्रेड के सामने पेश किया गया। मजिस्ट्रेड ने उन्हें अपराध संख्या 5भ्/91 वन्य जीव अधिनियम के अ‌र्न्तगत जेल भेज दिया। इसके बाद भी अभी तक इन मासूम परिंदो की तस्करी करने वाले असली गुनाहगारों के नाम उजागर नहीं हो पाएं हैं।

चालक परिचालक सस्पेंड

गोरखपुर डिपो के आरएम डीवी सिंह ने जानकारी के तुरंत बाद चालक विनोद प्रसाद और परिचालक महेन्द्र कुमार गुप्ता को सस्पेंड कर दिया है। वहीं टीम द्वारा वाहन के निरीक्षण में ये भी पाया गया कि लगभग 10 कुंतल भार का सामान बिना मालिक का पाया गया। जिसके बाद पाया गया कि चालक परिचालक द्वारा कर्मचारी सेवा विनियमावली 1981 की धारा 62 एवं 67 का पालन नहीं किया गया है।

पिछले साल बस में मिले थे सिक्के

रोडवेज की बसों में तस्करी करना कोई नई बात नहीं है। छोटी-मोटी तस्करी तो आए दिन होती रहती है लेकिन बड़े स्तर पर भी तस्करी होती रहती है जो जल्दी पकड़ में नहीं आती है। पिछले साल गोरखपुर डिपो की बस से ही भारी मात्रा में सिक्का बरामद हुआ था। जिसे ब्लेड बनाने के लिए चोरी चुपके रोडवेज की बस से ले जाया जा रहा था।

ठंड में बढ़ जाती है परिंदो की तस्करी

नाम न छापने की शर्त पर मांस बेचने वाले दुकानदार ने बताया कि ठंड में पहाड़ी तोते सहित अन्य कई परिंदो डिमांड बढ़ जाती है। वहीं कुछ और नस्ल के पंक्षी हैं जिनकी मांस खाने वाले डिमांड करते हैं। उनका मानना है कि ठंड के मौसम में अस्थमा, दमा और सांस के रोगियों के लिए ये पंक्षी बहुत ही फायदेमंद साबित होते हैं। इसलिए इस मौसम में इनकी डिमांड बढ़ जाती है।

2 हजार में बिकता है तोता

गोरखपुर में प्रतिबंधित पंक्षियों का लगभग करोड़ों का व्यापार ठंडी में होता है। शहर में मीर शिकार सहित कई इलाके हैं जहां पर प्रतिबंधित पंक्षियों की खरीद फरोख्त होती है। इस मौसम में पहाड़ी तोतों की खुब डिमांड रहती है। जिसके कारण इनकी किमत दो हजार से ढाई हजार तक वसूली जाती है।

तीन साल की सजा का प्रावधान

वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत पशु- पक्षियों का व्यवसाय नहीं किया जा सकता है। उन्हें कैद में रखना भी अपराध है। अगर कोई ये व्यवसाय करते पकड़ा जाता है तो उसे तीन साल की सजा और पांच हजार तक जुर्माना अदा करना होता है।

वर्जन-

चालक परिचालक को सस्पेंड कर दिया है। सभी बसों की प्रापर चेकिंग भी कराई जा रही है। अपराध करने वालों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।