कानपुर। 6 मार्च 1929 को इंग्लैंड के सरे में जन्में डेविड शेपर्ड ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इंटरनेशनल क्रिकेटर बन जाएंगे। इसकी वजह थी उनका पेशा। क्रिकेटर बनने से पहले डेविड ईसाई धर्मगुरु थे। उन्हें बकायदा चर्च में ऑडेंन्ड मिनिस्टर की पदवी मिली थी। जिसका काम चर्च में लीगल मैरिज से लेकर शवों की अंत्येष्टि कराना था। डेविड ने कई साल यही काम किया। मगर किस्मत को कुछ और मंजूर था। हालांकि डेविड की यह पहली च्वाॅइस नहीं थे। शेपर्ड ने बचपन से क्रिकेटर बनने का सपना देखा था पहले वह क्लब क्रिकेट खेला करते थे जब उनकी इंग्लैंड टीम में इंट्री नहीं हुई तो उन्होंने धर्मगुरु बनने का फैसला लिया।

ऐसा रहा है इंटरनेशनल करियर

दो साल तक चर्च में काम करने के बाद आखिरकार 1950 में डेविड की किस्मत का दरवाजा खुला। ओवल में वेस्टइंडीज के खिलाफ डेविड ने इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट मैच खेला। डेब्यू टेस्ट में इस इंग्लिश बल्लेबाज ने सिर्फ 11 रन बनाए। दाएं हाथ के बल्लेबाज डेविड का इंटरनेशनल क्रिकेट करियर भले 13 साल लंबा खिंचा मगर उन्हें सिर्फ 22 टेस्ट खेलने को मिले। जिसमें उन्होंने 37.80 की औसत से 1172 रन बनाए। इसमें तीन शतक और छह अर्धशतक भी शामिल हैं।

सिर्फ एक सिक्कस लगा पाए पूरे करियर में

डेविड शेपर्ड का टेस्ट औसत भले ही अच्छा रहा है मगर उन्हें विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए नहीं जाना जाता था। इस बात का सबूत उनके आंकड़े हैं। क्रिकइन्फो पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, डेविड ने पूरे टेस्ट करियर में मात्र एक छक्का लगाया।

रिटायरमेंट के बाद बने पादरी

1963 में क्रिकेट से रिटायरमेंट होने के बाद शेपर्ड फिर से अपने काम पर लौट गए। 1968 में इन्हें वूलविच स्थित चर्च का बिशप (पादरी) बनाया गया। वहीं 1975 में लिवरपूल की एक चर्च में उन्होंने फिर उसकी जिम्मेदारी निभाई। हालांकि 1997 में उन्होंने बिशप पद से भी संन्यास ले लिया।

76वें जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले हुई मौत

इंग्लिश क्रिकेटर डेविड शेपर्ड का जन्म जहां 6 मार्च को हुआ वहीं उनकद मृत्यु 5 मार्च को हुई। साल 2005 में शेपर्ड के 76वें जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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