1 . विजय हजारे का जन्म 11 मार्च 1915 में एक मराठी क्रिश्चियन फैमिली में हुआ था। सांगली के प्रेसबायटेरियन मिशन इंडस्ट्रियल स्कूल से इनकी शुरुआती शिक्षा पूरी हुई।

2 . हजारे ने शुरू से ही किताबों से ज्यादा क्रिकेट और फुटबॉल को तरजीह दी। क्रिकेट में इन्होंने मीडियम पेसर के तौर पर शुरुआत की। अपनी बैटिंग को सुधारने के लिए इन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लेजेंड्री स्पिनर क्लेरी ग्रिमेट से बहुत कुछ सीखा। ग्रिमेट ने इनको बहुत कुछ सिखाया और अपनी बैटिंग पर खास ध्यान देने की हिदायत भी दी।

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3 . हजारे ने टेस्ट क्रिकेट में अपने कॅरियर की शुरुआत टीम इंग्लैंड के खिलाफ खेलकर की। ये मैच 22 जून 1946 को इंग्लैंड के लॉर्ड्स स्टेडियम में खेला गया। इस मैच में इन्होंने 65 रनों का योगदान किया। इसके अलावा अपनी फील्डिंग के दौरान इन्होंने 2 विकेट लिए। हालांकि ये मैच 10 विकेट से इंग्लैंड ने जीता।

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4 . विजय हजारे ट्रॉफी के बारे में तो सुना ही होगा आपने। वैसे इसको वनडे रणजी ट्रॉफी के नाम से भी जाना जाता है। ये टूर्नामेंट 2002-03 में डॉमेस्टिक क्रिकेट के रूप में शुरू किया गया था। इस टूर्नामेंट में रणजी की सभी टीमें हिस्सा लेती हैं। ट्रॉफी का नाम दिग्गज भारतीय क्रिकेटर विजय हजारे के नाम पर रखा गया था।

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5 . 1946 में इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज चल रही थी। 49.77 के औसत पर 1,344 रनों के साथ इन्होंने अपना ये सफर पूरा किया। इनको लेकर इंग्लिश कमेंटेटर जॉन आरलॉट ने कहा था कि हजारे आसानी से अपना विकेट नहीं देते। उन्होंने ये भी कहा कि हजारे अपने स्कोर्स को लेकर हर मैच में कन्सर्न रहे हैं। इस क्रम में वह एक मशीन की तरह रन पर रन बनाते हैं। इसी वजह से इनको 'रन मशीन' का नाम भी दिया गया।

6 . क्रिकेट फील्ड की इस 'रन मशीन' ने अपनी टीम को हमेशा फुल स्विंग पर रखा। 1946-47 में इन्होंने होल्कर के खिलाफ गुल मोहम्मद के साथ मिलकर 577 रनों का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। 1947-48 में ऑस्ट्रेलिया में हुए फर्स्ट क्लास मैच में पांच टेस्ट में इन्होंने 429 रन बनाए। 1948-49 में इन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ 534 रनों का योगदान दिया। ठीक इसी तरह अपनी जमीं पर खेलते हुए इन्होंने अपनी टीम को कई बड़ी जीत का तोहफा दिया।

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7 . हजारे ऐसे पहले इंडियन बैट्समैन हुए जिन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ट्रिपल सेंचुरी का रिकॉर्ड बनाया। इसके साथ ही वह दो टेस्ट मैच की इनिंग्स में एकसाथ सेंचुरी बनाने वाले पहले इंडियन बैट्समैन भी बने। ये उपलब्धि उनको 23 जनवरी 1948 में ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में टेस्ट मैच खेलते हुए मिली। इस दौरान इन्होंने पहली इनिंग में 116 रन और दूसरी इनिंग में 145 रनों का स्कोर बनाया।

8 . वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान जब क्रिकेट में लोगों के इंट्रेस्ट में बड़ा ठहराव आ गया, उस समय लोगों का रुझान वापस खेल की ओर खींचने का बड़ा श्रेय सैमुअल हजारे को ही जाता है। क्रिकेटर विजय मर्चेंट के साथ मिलकर इस दौरान इन्होंने भारत में क्रिकेट को फिर से जिंदा किया। इस समय मुंबई स्टेडियम में मैच को देखने उमड़ी भीड़ का नजारा वाकई देखने लायक था।

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9 . 1947-48 में ये मौका था एडिलेड टेस्ट का। यहां हजारे की बॉलिंग क्रिकेट जगत में हमेशा के लिए यादगार बन गई। इस मैच से पहले क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन ने अपनी डबल सेंचुरी का रिकॉर्ड बनाया था। वहीं अगल मैच में महज 13 रन के लो-स्कोर पर हजारे ने इनका विकेट झटका और बैक टू पवेलियन कर दिया। इंडियन टीम के लिए ये उस समय की बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

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