- सबसे ज्यादा हायर और मिडिल क्लास के लोग हैं तांत्रिकों के प्रभाव में - तांत्रिकों की शरण लेने वालों में महिलाओं का प्रतिशत सबसे ज्यादा

- इंटरनेशनल इंस्टीटयूट ऑफ साइकोमेट्रिक काउंसलिंग द्वारा किए गए सर्वे में हुआ खुलासा

देहरादून, इसे अंधविश्वास कहें या वक्त की मार, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दून में सबसे ज्यादा हायर और हायर मिडिल क्लास तांत्रिकों के फेर में फंसी है। दिल्ली के बुराड़ी सुसाइड केस के बाद इंटरनेशनल इंस्टीटयूट ऑफ साइकोमेट्रिक काउंसलिंग द्वारा किए गए सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। तांत्रिकों के चक्कर में पड़ने से लोग कई तरह के डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं।

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सिटी में 37 तांत्रिक एक्टिव

संस्था की ओर से राज्यभर में ये सर्वे किया गया। सर्वे में खुलासा हुआ कि पूरे प्रदेश में इस वक्त 300 तांत्रिक सक्रिय हैं। इनमें से 37 तांत्रिक सिटी में अपना जाल फैलाए हुए हैं। ये सर्वे एज वाइज किया गया है। जिसमें 18 वर्ष से लेकर 61 वर्ष तक के लोगों के पांच ग्रुप बनाए गए थे।

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84 परसेंट महिलाएं

तांत्रिकों की शरण में जाने वालों में सबसे अधिक महिलाओं की संख्या है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार ऐसी महिलाओं की संख्या 84 परसेंट हैं जबकि पुरुष 16 परसेंट हैं। हायर और हायर मिडिल क्लास के लोग सबसे अधिक तांत्रिकों के शिकंजे में हैं। जबकि लोअर क्लास इनसे कम और मिडिल क्लास की संख्या सबसे कम है।

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हो रहे डिसऑर्डर के शिकार

साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि तांत्रिकों के तंत्र-मंत्र के चक्कर में लोग डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोग अकेलेपन और स्ट्रेस से घिर रहे हैं। जिसके चलते कई तरह की बीमारियों के भी वे शिकार हो रहे हैं।

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कुछ मामलों पर एक नजर

केस -1

एक परिवार में अचानक तीन लोगों की मौत हो गई। ऐसे में लोगों ने परिवार वालों को राय दी कि किसी तांत्रिक से पूछें कि ऐसा क्यों हुआ। जब तांत्रिक को घर पर बुलाया गया तो उसने कहा कि परिवार का जो चौथा बेटा बचा है, उसके आगे-पीछे भी मौत घूम रही है। उसको बचाने के लिए बंधन क्रिया करनी होगी। तांत्रिक कभी मुर्गा कटवाता तो कभी एल्कोहल डालकर आग लगाता। ऐसे में चौथा बेटा घबराता चला गया और डिप्रेशन का शिकार हो गया। बाद में साइकोलॉजिस्ट ने उसका उपचार किया।

केस -2

दून का एक परिवार तांत्रिकों के चक्कर में पड़ गया। तांत्रिक उनसे घर छोड़ने की बात करने लगा। इसका असर परिवार के दो भाइयों पर इस कदर हुआ कि वो घर छोड़कर ऋषिकेश चले गए। इसके बाद एक भाई की पत्‍‌नी को ओसीडी डिसऑर्डर हो गया। जिसमें उसे लगता था कि घर में किसी भी इंसान के आने पर गंदगी हो जाएगी और वो उसने अपने हाथ धो-धोकर बुरी तरह से छील दिए थे। ऐसे में बेटी को हॉस्टल में डाल दिया। बेटी दूर रहकर डिप्रेशन में चली गई तो बेटे ने भी पढ़ाई बीच में छोड़ दी। अब महिला साइकोलॉजिस्ट्स से ट्रीटमेंट ले रही है।

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तांत्रिकों के चक्कर में पड़कर लोग कई तरह के डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं। यही वजह है कि हमारी संस्था की ओर से इस सब्जेक्ट पर सर्वे किया गया है। ऐसे मामलों में 20 दिन तक डिसऑर्डर के शिकार व्यक्ति की काउंसलिंग करनी होती है।

- डॉ। मुकुल शर्मा, फाउंडर प्रेसीडेंट, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्रिक काउंसलिंग

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किस एज के कितने लोग तांत्रिकों की शरण में

18 से 30 वर्ष- 3 परसेंट

31 से 40 वर्ष- 29 परसेंट

41 से 50 वर्ष- 57 परसेंट

51 से 60 वर्ष- 4 परसेंट

61 से ऊपर- 7 परसेंट

किस क्लास का तांत्रिकों पर कितना विश्वास

हायर क्लास और मिडिल हायर क्लास -61 परसेंट

मिडिल क्लास- 7 परसेंट

लोअर क्लास- 32 परसेंट

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महिलाएं- 84 परसेंट

पुरुष- 16 परसेंट