मार्केट में एनसीईआरटी की दो तरह की बुक्स उपलब्ध

सामान्य बुक्स बाइंड कर बेची जा रही ऊंचे दामों में

बाइंड करके से तीन गुना दाम पर बेची जा रही बुक्स

देहरादून,

एक तरफ मार्केट में एनसीईआरटी बुक्स का टोटा बना हुआ है. दूसरी तरफ जो बुक्स बाजार में उपलब्ध हैं, उनकी बाइंडिंग के नाम पर धड़ल्ले से कमीशन का खेल चल रहा है. एनसीईआरटी की दो तरह की बुक्स मार्केट में बिक रही है. एक सामान्य बुक, दूसरी बाइंडिंग कर ऊंचे दामों में बेची जा रही है. ऐसे में पैरेंट्स की जेब पर हर तरफ से डाका डल रहा है.

सस्ती बुक को कर दिया महंगा

महंगी बुक्स की वजह से पैरेंट्स की जेब पर पड़ रहे बोझ को कम करने के लिए सरकार ने प्राइवेट स्कूल्स में एनसीईआरटी की बुक्स को लागू करवा दिया. लेकिन, कमीशन के चक्कर में पहले तो प्राइवेट स्कूल्स ने इसका जमकर विरोध किया, फिर रेफ्रेंस बुक्स लगाकर पैरेंट्स की मुश्किलें बढ़ा दी है. इसके बाद बुक सेलर्स की ओर से मार्केट में आई एनसीईआरटी की बुक्स में मुनाफा कमाने के लिए एक नया तोड़ निकाल लिया है. एनसीईआरटी की जो बुक्स पब्लिशर के माध्यम से मार्केट में आ रही हैं. उन पर प्लेन कवर पेपर लगा आ रहा है. इन्हीं बुक्स पर बाइंडिंग कर 20 रुपए तक दाम बढ़ाये जा रहे हैं. जिन पर बाइंडिंग के नाम पर भी एक नॉर्मल पॉलीथिन चढ़ाई गई है. हालांकि बुक में कहीं भी रेट के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा रही है. सीधे बिना बिल के ही 20 रुपए तक बुक के रेट बढ़ाकर लिए जा रहे हैं. पैरेंट्स और स्टूडेंट्स को यह कहकर बुक्स खरीदने को मजबूर किया जा रहा है कि बिना बाइंडिंग के बुक्स का जल्दी फटने का डर है, क्योंकि इनका कवर बहुत हल्का है.

5 प्रतिशत मुनाफे से नहीं चलता काम

राज्य सरकार के आदेश पर जिस पब्लिशर के माध्यम से बुक्स मार्केट में उपलब्ध कराई जा रही है. उससे सीधे बुक सेलर तक एनसीईआरटी की बुक्स पर 5 प्रतिशत तक का ही मुनाफा फिक्स किया गया है. इस मुनाफे को बढ़ाने के लिए ही बाइंडिंग का खेल मार्केट में चल रहा है. जो बुक 100 रुपए की है, उसे बेचने में बुक सेलर को सिर्फ 5 रुपए का फायदा है. अगर वही बुक बाइंडिंग कर बेची जाए तो 20 रुपए का मुनाफा बढ़ जाता है. ऐसे में एक बुक पर दो से तीन गुना कमीशन कमाया जा रहा है. इस तरह इस खेल से पैरेंट्स की जेब पर सीधा-सीधा असर पड़ रहा है.

पब्लिक कनेक्ट

सस्ती बुक्स के चक्कर में तो एनसीईआरटी बुक्स लागू हुई थी. लेकिन, यहां भी मनमानी करने और मुनाफा कमाने के लिए सस्ती बुक्स को महंगी कर दिया है. पैरेंट्स को हर तरफ से महंगाई की मार पड़ रही है.

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एजुकेशन डिपार्टमेंट की कहीं भी कोई मॉनीटरिंग नहीं की जा रही है. जो बुक्स मार्केट में मिल रही हैं, उनमें भी खेल चल रहा है. ऐसे में पैरेंट्स के लिए एजुकेशन सेशन महंगा होता जा रहा है.

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पहले तो एनसीईआरटी की 2 तरह की बुक्स का ऑप्शन्स मिल रहा है. इसमें कोई दिल्ली वाली कोई स्टेट वाली बताई जा रही है. इसके बाद भी स्टेट वाली बुक्स को बाइंडिंग और बिना बाइडिंग के बेचे जा रहा है. ऐसे में कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है.

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पहले तो प्राइेवट स्कूलों की मनमानी ऊपर से बुक सेलर और पब्लिशर द्वारा मुनाफा कमाने के तरीकों से पैरेंट्स की जेब पर डाका. ये पूरे सिस्टम की नाकामी है. जिसको सुधारना जरूरी है.