-टीईटी एग्जाम के दौरान मुरादाबाद में पकड़ा गया सॉल्वर कानपुर का , पहले भी कई एग्जाम में 'खेल' कर चुके हैं शहर के सॉल्वर

-दूसरे प्रदेशों से कोचिंग पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को फंसाकर बनाया जाता है सॉल्वर, दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की पड़ताल में खुलासा

>kanpur@inext.co.in

KANPUR : मुरादाबाद में टीईटी परीक्षा में कानपुर का एक सॉल्वर पकड़े जाने के बाद काकादेव कोचिंग मंडी में हड़कंप मच गया है। कुछ दिनों पहले फिजिक्स टीचर अभिषेक को जान से मारने की कोशिश के बाद काकादेव कोचिंग मंडी सुर्खियों में आई थी। इस दौरान खुफिया को जांच में ये भी मालूम चला कि कोचिंग माफिया सॉल्वर्स का बड़ा गैंग चला रहे हैं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट को एक एजेंसी के अधिकारी ने नाम न पब्लिश करने की रिक्वेस्ट पर बताया कि कई कोचिंग ओनर्स एलआईयू की राडार पर हैं। इनके यहां स्टूडेंट्स को सॉल्वर बनाया जा रहा है।

कानपुर कनेक्शन सामने आया

मुरादाबाद में पकड़े गए सॉल्वर के मामले से एक बार फिर सॉल्वर गैंग का कानपुर कनेक्शन सामने आ गया है। काकादेव बड़ी कोचिंग मंडी होने से कानपुर सॉल्वर गैंग का गढ़ बन गया है। यहां पर कई गैंग सक्रिय है, जो पढ़ाई में तेज स्टूडेंट को फंसाकर सॉल्वर बनाकर दूसरे की जगह परीक्षा दिलाते है। इसके एवज में उनको मोटी रकम दिलाते हैं। ये हम नहीं बल्कि खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट कह रही है। यहां पर कई बार सॉल्वर पकड़े जा चुके है, लेकिन सॉल्वर गैंग की जड़े इतनी गहरी हो चुकी है कि इसका पूरी तरह सफाया नहीं हो सका है। आइये आपको बताते है कि सॉल्वर गैंग कैसे आपरेट करता है और किस तरह से स्टूडेंट को फंसाता है? ये पूरी डिटेल्स खुफिया की रिपोर्ट में भी दी गई है।

काकादेव में सक्रिय रहता है यह गैंग

एलआईयू की रिपोर्ट में लिखा है कि शहर के काकादेव एरिया को कोचिंग मंडी कहा जाता है। यहां पर इंजीनियरिंग, मेडिकल, सिविल, बैकिंग, टीईटी समेत अन्य परीक्षाओं की कोचिंग है। यहां शहर के अलावा आसपास के जिलों के स्टूडेंट पढ़ने आते है। सॉल्वर गैंग के गुर्गे इन्हीं कोचिंग के आसपास सक्रिय रहते है। कुछ गैंग्स की पहुंच तो कोचिंग के अंदर तक है जहां यह पता लगाते है कि कोचिंग में कौन कौन से स्टूडेंट पढ़ाई में तेज हैं।

दोस्ती कर सारी जानकारी हासिल करते है

सॉल्वर गैंग के गुर्गे पढ़ाई में तेज स्टूडेंट के बारे में सारी जानकारी हासिल करते है। गुर्गे स्टूडेंट की मदद या अन्य किसी तरीके से दोस्ती कर लेते है। इसके बाद वे स्टूडेंट के शौक और जिंदगी से जुड़ी जानकारी हासिल करते है। इसके बाद गुर्गे स्टूडेंट पर पैसा खर्च कर उनको महंगे शौक की लत लगवा देते है। यहां से होता है स्टूडेंट को फंसाने का खेल। स्टूडेंट पैसे के लालच में सॉस्वर बन जाता है।

हनी ट्रैप का भी इस्तेमाल करते है

सॉल्वर गैंग के गुर्गे पहले स्टूडेंट को पैसा ऑफर करते है, लेकिन जब वह इस जाल में नहीं फंसता है तो गैंग हनी ट्रैप का इस्तेमाल करते हैं। सॉल्वर गैंग से कई लड़कियां भी जुड़ी है। गैंग पहले इन लड़कियों की स्टूडेंट के पीछे लगा देता है। लड़कियां किसी न किसी बहाने स्टूडेंट से दोस्ती कर उसे प्यार के जाल में फंसा लेती है। इसके बाद लड़कियां स्टूडेंट सॉल्वर बनने में मजबूर कर देती है। लड़कियां स्टूडेंट को ब्लैकमेल करने के लिए उससे शारीरिक संबंध भी बना लेती है। इसके बाद स्टूडेंट उनसे बच नहीं पाता है।

लड़कियों को मदद के बहाने फंसाया जाता

कोचिंग मंडी के एक दलाल ने नाम न पब्लिश करने की रिक्वेस्ट पर बताया कि काकादेव में कोचिंग में हजारों लड़कियां कोचिंग पढ़ने आती है। इसमें आसपास जिलों की लड़कियां होती है। जो हॉस्टल या किराये के कमरे में रहकर पढ़ाई करती है। सॉल्वर गैंग के गुर्गे इन लड़कियों को मदद के बहाने फंसा लेता है। सॉल्वर गैंग से जुड़ी लड़कियां इन छात्राओं से दोस्ती कर उनको भी महंगे शौक की लत लगवा देती है। गैंग से जुड़े गुर्गो को स्टूडेंट बताकर छात्राओं से दोस्ती करवा दी जाती है। इसके बाद लड़कियों को फंसाकर उनको दूसरे स्टूडेंट के स्थान पर परीक्षा दिलाइर्1 जाती है।

व्यापामं घोटाले से भी कनेक्शन

व्यापंम घोटाले की जांच कर रहीं केंद्रीय एजेंसियों ने भी अपनी रिपोर्ट में काकादेव कोचिंग मंडी का व्यापामं घोटाले से कनेक्शन सामने ला चुकी है। व्यापामं घोटाले में काकादेव कोचिंग मंडी के कई छात्र पकड़े गए थे। सीबीआई कई बार यहां आकर कई स्टूडेंट से पूछताछ भी कर चुकी है। सीबीआई जांच में यह सामने आया था कि कोचिंग मंडी के कई स्टूडेंट परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़े है। यहां के कई स्टूडेंट्स ने सॉल्वर बनकर दूसरे की जगह पेपर दिया था।

कई परीक्षाओं में लगा चुके है सेंध

काकादेव कोचिंग मंडी में सक्रिय सॉल्वर गैंग पहले इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षा में पास कराने का ठेका लेता था, लेकिन अब वह हर परीक्षा में पास कराने का ठेका लेता है। इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षा में सख्ती ज्यादा होने से यह गैंग दूसरी परीक्षाओं भी सक्रिय हो गया है। अब यह गैंग बैंकिंग, टीआईटी, सरकारी नौकरी से जुड़ी परीक्षा में पास कराने का ठेका लेता है।

बचने के लिए बदलते हैं पैटर्न

सॉल्वर गैंग जड़े काफी गहरी है। इन गैंग के सरगना पकड़े न जाए। इसके लिए खुद को अपडेट करते रहते है। पहले इस तरह के गैंग्स पेपर आउट कर उसको बेचते थे, लेकिन जब पेपर आउट करने में दिक्कत आने लगी तो इन लोगों ने परीक्षाओं में सॉल्वर बैठाना शुरू कर दिया। इसके लिए गैंग ट्रिक फोटोग्राफी से इस तरह की फोटो बनाते है कि वह कैंडिडेट की भी लगती है और सॉल्वर की भी। इस समय ये गैंग्स विशेष तरह की चिप का इस्तेमाल कर रहे है। इस चिप को कैंडिडेट के कान में डाल दिया जाता है। कैंडिडेट जब पेपर देता है तो सॉल्वर एक एक सवाल का जबाव देता जाता है। जिसे कैंडिडेट चिप के माध्यम से सुनकर पेपर सॉल्व कर लेता है।

कई परीक्षा में पकड़े जा चुके हैं

टीईटी से पहले रेलवे परीक्षा में एसटीएफ ने शहर से दो सॉल्वर को पकड़ा था। जिसमें सॉल्वर बिहार का था। इसी तरह आईआईटी प्रवेश परीक्षा में कई सॉल्वर पकड़े जा चुके है। इसके अलावा सरकारी नौकरियों, बैकिंग और अन्य परीक्षाओं में भी सॉल्वर पकड़े जा चुके है।