यहां का हर दूसरा बच्चा मैलन्यूट्रिशन का शिकार

- अंडर न्यूट्रिशन के कारण व‌र्ल्ड में 45 परसेंट बच्चों की होती है मौत

- व‌र्ल्ड का हर पांचवा मैलन्यूट्रिशन का शिकार बच्चा है इंडियन

PATNA(2 Aug): बे्रस्ट फीडिंग के मामले में बिहार सबसे निचले स्थान पर है। यह बातें नेशनल हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के तीन साल (2010-12) के हेल्थ सर्वे में सामने आया है। जन्म से एक घंटे तक का समय सबसे क्रूशियल होता है न्यू बोर्न बेबी के लिए, पर यह डाटा दर्शाता है कि इस स्टेट में 2011-12 के दौरान जन्म के एक घंटे के भीतर 34.6 परसेंट बच्चों को ही ब्रेस्ट फीडिंग करायी गई। मैक्सिमम केसेज में लोगों का कहना है कि दूध नहीं बनता है कैसे पिलाएंगे, पर डॉक्टरों का कहना है कि नवजात के लिए मां का चार-पांच बूंद दूध ही पर्याप्त है। व‌र्ल्ड बेस्ट फीडिंग वीक के मौके पर मीडिया इंटरैक्शन करते हुए यूनिसेफ के न्यूट्रिशन स्पेशलिस्ट डॉ आलोक रंजन ने बताया कि बच्चों के इम्यून पॉवर के लिए मां का दूध सबसे जरूरी है।

हजार दिन बुनियाद रखने के दिन

बच्चों के लिए ब्रेस्ट फीडिंग के मामले में मां के गर्भ में पलने के नौ माह और दो साल जिसे दिन में काउंट करें, तो एक हजार दिन होता है, जो सबसे महत्वपूर्ण है। अगर इस दौरान बे्रस्ट फीड और कंप्लीमेंट्री फीड पूरा करा दिया जाए तो उसे मैलन्यूट्रिशन से बचाना सबसे आसान है। दूसरे शब्दों में कहें तो उसे मैलन्यूट्रिशन के कुचक्र से बाहर लाया जा सकता है। डॉ आलोक रंजन का कहना है कि किसी के जीवन में हेल्दी ग्रोथ के लिए दो समय महत्वपूर्ण है-जन्म से छह माह तक और दूसरा एडोलसेंस। इस समय उसकी हाइट और ओवरऑल ग्रोथ तेज होती है।

पूर्वी चंपारण सबसे पुअर

एनुअल हेल्थ सर्वे 2011-12 के डाटा पर गौर करें, तो पता चलता है कि बिहार के सभी डिस्ट्रिक्टमें पूर्वी चंपारण की स्थिति सबसे खराब है। आज के समय में भी इससे जुड़ी कई मिथ हैं, जिसके कारण इसका इंपॉर्टेस इग्नोर हो रहा है। जन्म से एक घंटे के दौरान यहां करीब 20 परसेंट न्यू बोर्न को ही मां का दूध पिलाया गया। यही वजह है कि यहां न्यू बोर्न चाइल्ड की मॉर्टेलिटी रेट भी अधिक है, जबकि सबसे बेहतर स्थिति खगडि़या जिले का है। यहां जन्म के एक घंटे के भीतर 57.8 परसेंट बच्चों को मां का दूध पिलाया गया। पते की बात यह है कि कैपिटल पटना इस मामले में 32.1 परसेंट के पुअर स्तर पर है।

ब्रेस्ट फीडिंग और बच्चों की मौत

LANCET द्वारा कराए गए एक सर्वे के दौरान इस बात को अंडरलाइन किया गया है कि जीरो से पांच साल तक के समय में बच्चों की मौत में कमी लाने में ब्रेस्ट फीडिंग और कम्पलीमेंट्री फीडिंग का सबसे बड़ा रोल है। बच्चों की मोरटालिटी के के कई कारण हैं।

अंडरन्यूट्रिशन को कम करने की कछुआ चाल

गवर्नमेंट का ही डाटा यह बताने के लिए काफी है कि किस प्रकार से अंडरन्यूट्रिशन को काबू करने में सतही सफलता मिली है। एनएफएचएस द्वारा नेशनल लेवल पर जीरो से 35 माह के बच्चों के बीच 1992 से 2006 के बीच सर्वे कराया गया। इसमें यह बात स्पष्ट तौर पर सामने आया है कि जहां 1992 के दौरान 48 परर्सेट बच्चे अंडरवेट थे और ब्रेस्ट फीडिंग और अन्य हेल्थ प्रोग्राम को रन करने के बावजूद 2006 में इसमें मात्र आठ परसेंट की कमी लायी जा सकी।

वर्किंग वीमेन क्या करें?

अर्बन वीमेन वर्किंग वीमेन हैं। ऐसे में वह बच्चे को दूध कैसे पिलाएंगी। इस बारे में पूछे एक सवाल का जबाव देते हुए डॉ आलोक रंजन ने बताया कि जब तक घर में हैं, वह दूध पिला लें। जब ऑफिस जाना हो, तो वह बच्चे की भूख की मुताबिक ब्रेस्ट से दूध एक्सट्रैक्ट करके रख दें, जिसे घर के मेंबर उसे कभी भी पिला सकते हैं। उन्होंने बताया कि मां का दूध छह से आठ घंटे तक खराब नहीं होता। इसे गर्म नहीं करना चाहिए। फ्रिज में रखने पर 24 घंटे तक इसे यूज में लाया जा सकता है।

for your help

-जन्म से एक घंटे के भीतर मां का दूध जरूर पिलाएं।

-जन्म से छह माह तक केवल मां का दूध ही दें।

-रात में भी ब्रेस्ट फीडिंग कराना चाहिए।

-छह माह के बाद कंप्लीमेंट्री फीडिंग जैसे खिचड़ी, दलिया आदि दें।

-आइडियल है दो साल तक बे्रस्ट फीडिंग।

-हाइजिन, सेनिटेशन और इम्यूनाइजेशन से करें हेल्थ केयर।