125 बसें इस रूट पर

300 फेरे लगते हैं बसों के

20 हजार से अधिक यात्री करते सफर

6 हजार से ज्यादा एमएसटी धारक

- परिचालकों ने फिक्स वेतनमान के लिए लागू की गई शर्तो में बदलाव की मांग की

- आरएम के आश्वासन के बाद दोपहर तीन बजे के बाद बसों का संचालन हो सका शुरू

LUCKNOW :

लखनऊ-बाराबंकी रूट पर चलने वाले परिचालकों ने फिक्स वेतन मान की मांग को लेकर इस रूट पर बसों का संचालन ठप कर दिया। ऐसे में यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा और उन्हें दूसरे साधनों से यात्रा करनी पड़ी। दोपहर बाद परिवहन निगम के अधिकारियों ने परिचालकों से मुलाकात कर जल्द उनकी परेशानियों को दूर करने का आश्वासन देकर बसों का संचालन शुरू कराया।

सुबह छह बजे से चलती हैं बसें

कैसरबाग बस अड्डे से सुबह छह बजे से देवा और बाराबंकी रूट पर अनुबंधित बसों का संचालन शुरू होता है। इन बसों में चालक बस मालिक का और परिचालक परिवहन निगम का होता है। परिचालकों ने 17000 फिक्स वेतन मान के लिए जारी की गई नियमावली में शामिल ना हो पाने से बसों का संचालन ठप कर दिया। जिससे बस अड्डे पर यात्रियों को काफी असुविधा हुई। बहुत से यात्री चारबाग आए और दूसरे साधनों से बाराबंकी के लिए रवाना हुए।

परिचालकों की मांगों को सुलझाने के लिए कमेटी बनाई गई है। मैं भी इस कमेटी का सदस्य हूं। जल्द ही उनकी परेशानियां दूर की जाएंगी।

पल्लव कुमार बोस, आरएम,

लखनऊ परिक्षेत्र, यूपी परिवहन निगम

लखनऊ-बाराबंकी रूट पर बसों का संचालन बंद होने पर दो तीन अतिरिक्त बसों का संचालन बाराबंकी के लिए किया गया। दोपहर बाद संचालन शुरू होने से समस्या दूर हो गई।

काशी प्रसाद, एआरएम, प्रबंधन

आलमबाग बस अड्डा

17000 फिक्स वेतनमान में उन्हीं संविदा कर्मियों को शामिल किया जाता है जो साल में हर माह 22 दिन डयूटी पूरी करते हो और इस दौरान तकरीबन 6000 किमी का सफर पूरा करते हों। इसके साथ ही उनकी नौकरी को पांच साल पूरे हो चुके हों।

यह है समस्या समस्या

लखनऊ से बाराबंकी की दूरी कम होने से परिचालक महीने भर भी सफर करने के बाद भी छह हजार किमी पूरा नहीं कर सकते। ऐसे में लगातार डयूटी करने के बाद भी वह फिक्स वेतनमान में शामिल नहीं हो सकते।

यात्रियों से बातचीत

हम सुबह आठ बजे बस अड्डे आए तो पता चला कि बसें नहीं चल रही हैं। काफी देर इंतजार करने के बाद दोपहर तीन बजे बस मिली।

जावेद अख्तर, बाराबंकी

मेरा घर बाराबंकी में है। मैं मुंबई से आया हूं। यहां पता चला कि बसें नहीं चल रही हैं। इंतजार करने के अलावा हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है।

शोएब, बाराबंकी

परिवार को लेकर शादी में पहुंचना है। इसी के चलते सुबह ही बस अड्डे पहुंच गया। लेकिन यहां तो बसें ही नहीं हैं। अब दूसरा साधन देखना है।

राजा, लखनऊ

इस रूट पर मैंने एमएसटी बनवा रखी है। रोडवेज कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी है लेकिन एमएसटी में दिनों की संख्या नहीं बढ़ाई जाएगी।

रमेश, लखनऊ