नई दिल्ली (एजेंसियां)। तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाला बिल संसद में न पास होने के बाद मोदी सरकार ने अब अध्यादेश का सहारा लिया है। कैबिनेट ने बुधवार को तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी। अब इस ट्रिपल तलाक अध्यादेश को छह महीने के अंदर संसद से पास करवाना होगा। इस अध्यादेश में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक की तरह ही प्रावधान होंगे। बीते साल दिसंबर में लोकसभा में तो यह पारित हो गया था लेकिन संख्या बल कम होने से राज्यसभा में हंगामे के चलते इस पर बहस नहीं हो सकी थी।



फैसले से  मुस्लिम महिलाओं खुशी की लहर

अध्यादेश को कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह फैसला समाज में बहू-बेटियों की स्थिति को सुधारने के लिए लिया गया है। आजादी के इतने साल बाद भी महिलाओं की स्थिति दयनीय है। अाखिर ये कैसे नियम है कि महज तलाक तलाक तलाक कहने से उनकी जिंदगी बरबाद हो जाए।उन्होंने विपक्षी दलों की महिला नेताओं से भी सहयोग करने की अपील की है। वहीं कैबिनेट के इस फैसले से  मुस्लिम महिलाओं खुशी की लहर है। उन्हें एक बार दिए जाने वाले तीन तलाक  (तलाक-ए-बिद्दत) से राहत मिली है।
 
तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया

अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद कई मुस्लिम संगठनों ने भी खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि आज यह महिलाओं की जीत हुई है। नए बिल के मुताबिक तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) गैर जमानती अपराध होगा।  इसके अलावा इसमें 3 साल तक की कैद व जुर्माने आदि का प्रावधान भी होगा। खास बात तो यह है कि मुकदमा क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट की कोर्ट में होगा। हालांकि संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार है। बता दें कि बीते साल अगस्त में सु्प्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था।

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