-किडनी कैंसर में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी जरूरी

-कन्वेंशन सेंटर में यूरोआंकोकॉन 2019 कार्यशाला आज से

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LUCKNOW: दुनियाभर में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है. लखनऊ सहित देश का भी यही हाल है. देश में करीब 22 लाख कैंसर पीडि़त मरीज हैं. करीब 11 लाख या अधिक नए मरीजों में हर वर्ष कैंसर की पुष्टि होती है. पिछले 15 वर्षो में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी हो गई है. हर वर्ष करीब 8 लाख से अधिक कैंसर पीडि़तों की मौत हो जा रही है. कुल कैंसर में से करीब दो से तीन फीसद में किडनी कैंसर है. इसकी संख्या भी लगातार बढ़ रही है. शुक्रवार को केजीएमयू में आयोजित प्रेसवार्ता में डॉ. एसएन शंखवार और डॉ. एचएस पहवा ने यह जानकारी दी.

स्मोकिंग करना पड़ रहा भारी

डॉ. एसएन शंखवार ने बताया कि किडनी कैंसर होने का प्रमुख कारण स्मोकिंग और मोटापा है. रिसर्चेज में यह बात साबित हुई है. इसके अलावा लंबे समय तक डायलिसिस होने पर भी कैंसर होने का खतरा बढ़ता है. किडनी कैंसर 60 से 80 की उम्र में अधिक होता है. भारत के लोगों में दूसरे देशों की अपेक्षा पांच वर्ष पहले ही कैंसर हो जाता है. पेशाब से ब्लड आए, कमर के हिस्से में बगल में सूजन या दर्द हो तो यह बीमारी की एडवांस स्टेज हो सकती है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इलाज शुरू कराएं.

पार्शियल सर्जरी से इलाज संभव

डॉ. शंखवार ने बताया कि पहले ट्यूमर या कैंसर होने पर पूरी किडनी निकाल दी जाती थी क्योंकि इनमें रेडियोथेरेपी कारगर नहीं है, लेकिन अब सर्जरी से इलाज संभव है. चार सेमी. से छोटा ट्यूमर है तो उसे नेफ्रॉन स्पेयरिंग सर्जरी या पार्शियल नेफ्रोक्टमी के माध्यम से निकाल दिया जाता है. यदि कैंसर किडनी से निकलकर लंग्स, लिवर, ब्रेन, बोन तक फैल गया है तो उसे बचाना असंभव हो जाता है और छह माह से एक वर्ष में मौत हो जाती है.

जुटेंगे देश विदेश के डॉक्टर

अटल बिहारी वाजपेई कन्वेंशन सेंटर में आयोजित होने वाले दो दिवसीय यूरोआंकोकॉन में देश विदेश के 400 से अधिक स्पेशलिस्ट डॉक्टर कैंसर के इलाज पर चर्चा करेंगे. इस दौरान लाइव सर्जरी कर दिखाया जाएगा. कार्यक्रम में प्रमुख रूप से टाटा कैंसर हॉस्पिटल मुंबई, राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एम्स नई दिल्ली, एसजीपीजीआई लखनऊ, पीजीआई चंडीगढ़, कोकिलाबेन अस्पताल मुंबई के राष्ट्रीय विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे.