आबूलेन की सड़क के बीच में पौधे लगाने के लिए गांधी बाग से दो बजे लोडिंग का काम शुरू हुआ, जो कि एक घंटे तक चलता रहा। उसके बाद साढ़े तीन घंटे तक एक-एक पौधा आबूलेन की सड़क पर लगाया गया। कैंट बोर्ड ने करीब 40 बड़े और 100 से अधिक छोटे पौधे लगाए गए।

 

ये हैं व्यापारियों की मांग

- दोनों पार्किंग पर लाइट की व्यवस्था की जाए।

- पीने के पानी की व्यवस्था की जाए।

- पार्किंग स्लॉट पर इंटर लॉकिंग टाइल्स लगाई जाए।

- गार्ड रूम बनाए जाएं।

- जेंट्स और लेडीज टॉयलेट की व्यवस्था की जाए।

- वाहनों की सुरक्षा स्लिप मुहैया कराई जाए।

- गणपति कांप्लेक्स पर व्यापारियों की गाडि़यां खड़ी कराई जाए।

- कैंट बोर्ड के कर्मचारी आबूलेन पर खड़े होंगे।

 

छह सौ दुकानों पर ताला

कैट बोर्ड की इस कार्रवाई के संयुक्त व्यापार संघ ने आबूलेन बंद करने का ऐलान कर दिया। जिसपर पूरा दिन मार्केट बंद रहा। शाम होते व्यापार संघ आबूलेन समेत पूरे कैंट में अनिश्चितकाल तक बंद करने की घोषणा कर दी। संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष नवीन गुप्ता ने बताया कि हमारी मांगे जब पूरी नहीं होंगी तब तक हम मार्केट पूरी तरह से बंद रखेंगे। आबूलेन में करीब 600 दुकानें हैं।

 

नहीं आए आबूलेन मार्केट के व्यापारी

ताज्जुब की बात तो ये दिखी कि आबूलेन में करीब 600 दुकानें होने के बाद भी 50 व्यापारी भी आबूलेन के नहीं दिखे। जो थे वो गिने चुने थे और बाकी बाहर के थे। इसका मतलब साफ है कि आबूलेन का व्यापारी भी इस मुद्दे पर आबूलेन व्यापार संघ के साथ नहीं है। अगर होता तो मंगलवार को हजारों की संख्या में भीड़ होती।

 

खुली रहीं आसपास की मार्केट

जहां एक ओर शहर की प्रीमियम मार्केट आबूलेन पूरी तरह से बंद था वहीं आसपास की मार्केट पूरी तरह से खुली हुई थी। सदर बाजार, बांबे बाजार, दाल मंडी, बेगमब्रिज, लालकुर्ती, रजबन मार्केट। किसी भी मार्केट पर इस बंद का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा था। आबूलेन को छोड़ आसपास की सभी मार्केट और दिनों की तरह सुचारू रूप से चल रही थी।

 

नहीं थी कोई प्लानिंग

इस पूरे प्रकरण को देखकर कहा जाए कि व्यापारियों के पास कोई प्लानिंग नहीं थी तो गलत नहीं होगा। व्यापारी कूटनीति और राजनितिक रूप से पूरी तरह से विफल नजर आए। जानकारों की मानें तो अगर व्यापारियों और सांसद को विरोध करना ही था तो अपनी गाडि़यों को पुरानी सेंट्रल पार्किंग पर पार्क करना चाहिए था। तब देखना था कि कैंट बोर्ड और पुलिस प्रशासन किस तरह की कार्रवाई करता है।

 

पौधे हुए नष्ट

व्यापारियों पर आक्रोश व्यक्त करने के तरीका गैर वाजिब था। यूं ही पर्यावरण संरक्षण के लिए एक-एक पौधे ही कीमत अमूल्य है। ऐसे में पौधे कारोबारियों की गुस्से की भेंट चढ़ गए। करीब 13 बड़े पौधे और 30 से अधिक छोटे पौधे नष्ट हो गए हैं।

 

पांच सालों में पहली बार

पिछले पांच सालों की बात करें तो कैंट बोर्ड द्वारा किए मूवमेंट में ये मूवमेंट सबसे बड़ा था, लेकिन इस पूरे मूवमेंट में आर्मी की मदद नहीं ली गई। जबकि कैंट बोर्ड ने सदर सब्जी मंडी, मेहताब एंक्रोचमेंट, लालकुर्ती सब्जी मंडी जैसे मामलों में एंक्रोचमेंट हटाने के लिए आर्मी की मदद ली थी। सूत्रों की मानें तो इस बार सब एरिया कमांडर ने ही निर्देश दिए थे कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस और प्रशासन को ही इंवॉल्व किया जाए। आर्मी की अपिरियंस न रखी जाए।

 

रक्षा मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट

कैंट बोर्ड के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो कैंट बोर्ड के आलाधिकारियों ने सांसद के रोल पर सवाल उठाते हुए अपनी एक रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को भेज दी हैं। रिपोर्ट में सांसद द्वारा किस तरह से डिपार्टमेंट के फोर्थ क्लास कर्मचारियों के साथ अभद्रता, मारपीट और सरकारी कार्य में बाधा डालने की पूरी कहानी लिखी है।