मेरठ के अल्लीपुर जिजमाना में रह रहे हैं 50 से अधिक लोग

पुलिस ने कहा, खत्म हो गई है इनके यूएन कार्ड की अवधि

Meerut। रो¨हग्या मुसलमान देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इनकी घुसपैठ का रोका जाए और देश में रह रहे रोहिंग्या को वापस सीमापार भेजा जाए। केंद्र सरकार के ऐसे निर्देशों की मेरठ में धज्जियां उड़ रही हैं। यूएन नेशन्स के कार्ड की अवधि समाप्त होने के बाद भी कई रोहिंग्या मुसलमान परिवार के साथ मेरठ में रह रहे हैं।

म्यांमार के राखिन के हैं रोहिंग्या

मेरठ में रह रहे रोहिंग्या म्यांमार के राखिन प्रांत के हैं। 18 रोहिंग्या परिवार में 50 के करीब महिला, पुरुष और बच्चे हैं, जो अब देश में अवैध तरीके से रह रहे हैं। देश में रहने का आधार यूनाईटेड नेशन्स हाईकमीशन फॉर रिफ्यूजी का कार्ड ज्यादातर रोहिंग्या परिवारों का समाप्त हो गया है केंद्र सरकार के कडे़ रुख के बाद इसका रिन्यूवल नहीं किया गया। केंद्र सरकार के विरोधी रुख और सूबे की योगी सरकार की सख्ती के बाद भी मेरठ में रह रहे रोहिंग्या को वापस म्यांमार नहीं भेजा जा सका है। हालांकि जिला प्रशासन और खुफिया विभाग का दावा है कि उन्होंने कई बार रोहिंग्या को मेरठ से बाहर करने का प्रयास किया।

लंबे समय से रह रहे

मेरठ-हापुड़ रोड पर स्थित है अल्लीपुर जिजमाना गांव, हाइवे से 2 किमी बाई ओर स्थित इस गांव को जा रही सड़क के दोनों ओर स्लाटर हाउस और मीट पैकेजिंग प्लांट हैं। गांव में प्रवेश करते हुए प्राइमरी स्कूल के समीप से बाई ओर जा रही संकरी गली में कुछ मोड़ पार करने के बाद है रोहिंग्या मुसलमानों की बसावट है। यहां स्थानीय लोगों के मकानों में रोहिंग्या आम लोगों की तरह रह रहे हैं। आम लोगों के बीच रहते हुए ये मजदूर रोहिंग्या की पहचान 'खास' है। गांव में सब जानते हैं कि बर्मा वाले रिफ्यूजी कहां रहते हैं। इस गांव में ज्यादातर बिहार, बंगाल और देश के विभिन्न हिस्सों से मजदूर रहते हैं जो स्लाटर हाउस में काम करते हैं, रोहिंग्या भी स्लाटर हाउस में स्लाटरिंग का काम कर रहे हैं। इन्हीं लोगों के बीच रोहिंग्या के कुछ 18 परिवार रहते हैं।

यूएन कार्ड की अवधि समाप्त

देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे ज्यादातर रोहिंग्या परिवारों का यूनाइटेड नेशन्स हाईकमीशन फॉर रिफ्यूजी कार्ड की अवधि समाप्त हो गई है। मेरठ में भी कई ऐसे परिवार हैं जिनके यूएस नेशन्स कार्ड की अवधि समाप्त हो गई है। 10 साल पहले म्यांमार त्रासदी के बाद मेरठ आए रोहिंग्या हर 2 साल बाद अपने यूएन कार्ड को विदेश मंत्रालय (दिल्ली) जाकर रिन्यू करा लाते थे। इस बार केंद्र सरकार के रुख के बाद रोहिंग्या के यूएन कार्ड को रिन्यू नहीं किया जा रहा है। ऐसी जानकारी के बाद रोहिंग्या परिवारों में खलबली है तो वहीं कई रोहिंग्या पुरुष कार्ड रिन्यू कराने के लिए दिल्ली में डेरा जमाए है।

मेरठ से हटाने की कोशिश जारी

केंद्रीय गृह मंत्रालय का मानना है कि रो¨हग्या गैरकानूनी तरीके से देश में रह रहे हैं। ऐसे में मेरठ पुलिस-प्रशासन ने कई बार रोहिंग्या को हटाने की कोशिश भी किंतु वे सफल नहीं हो सके। एक बार फिर यूएन नेशन्स के कार्ड की अवधि समाप्त होने के बाद पुलिस-प्रशासन हरकत में है। वहीं खुफिया एजेंसियों की आशंका है कि फर्जी दस्तावेज तैयार करके रोहिंग्या कहीं बांग्लादेशियों की तरह देश की नागरिकता हासिल करने में सफल न हो जाएं। पूर्व में फर्जी वोटर कार्ड और पैन कार्ड तक बनवाने के मामले सामने आए हैं।

रोहिंग्या मुसलमानों के यूएन नेशन्स के रिफ्यूजी कार्ड की अवधि समाप्त होने की जानकारी की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा रोहिंग्या का पलायन कराने पर कोई दिशा-निर्देश नहीं मिल है। निर्देश मिलते ही अनुपालन किया जाएगा।

राजेश कुमार, एसपी देहात