- अक्सर लगते हैं इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप

- सीएमओ ऑफिस में शिकायत के बाद भी पूरी नहीं होती जांच, कार्रवाई से कतराते जिम्मेदार

GORAKHPUR: स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों के बावजूद शहर के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की जान से खिलवाड़ बंद नहीं हो रहा है. लापरवाही के कारण यहां इलाज कराने पहुंचे मरीजों की आए दिन मौत तक हो रही है लेकिन तमाम शिकायतों के बावजूद इन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही और मामले ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं. दूसरी ओर न्याय पाने के लिए पीडि़त दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल्स और नर्सिग होम की हालत बेहद खराब होती जा रही है. लापरवाही के कारण मरीजों की मौत आए दिन की बात हो गई है. ऐसे कई केस पिछले दिनों सामने आए हैं. लेकिन उन पर शिकायत के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है. प्राइवेट हॉस्पिटल्स से लेकर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में कई चर्चित मामले सामने आए. लेकिन महज जांच का हवाला देते हुए मामले का ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. मेडिकल कॉलेज में पिछले साल एक चर्चित मामला सामने आया. जिसमें जूनियर डॉक्टर्स ने तीमारदारों को दौड़ा-दौड़ा कर पिटाई की थी. मामला अस्पताल प्रशासन से होते हुए पुलिस तक पहुंचा. लेकिन आज तक मामले में पीडि़तों को न्याय नहीं मिल सका.

केस 1

खजांची चौराहा स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में महिला की मौत के बाद बवाल हो गया. इस मामले में अस्पताल संचालक की ओर से परिजनों को धमकी भी दी गई. इतना ही नहीं इलाज का पेंमेंट न जमा करने पर शव को कब्जे में ले लिया. सूचना पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को शव सौंपा तब जाकर मामला शांत हुआ.

केस 2

मोहद्दीपुर एरिया में एक्सीडेंट के दौरान एक युवक घायल हो गया. परिजनों ने उसे निजी अस्पताल में भर्ती करवाया. जहां इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई. परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग से भी शिकायत की गई लेकिन आज तक जांच पूरी नहीं हो पाई.

वर्जन

लिखित शिकायत की जांच कराई जाती है. कुछ मामलों में दोषियों पर कार्रवाई की जाती है लेकिन कई मामले ऐसे होते हैं जिसमें बेवजह आरोप लगाए जाते हैं. जांच में उसकी पुष्टि न होने पर उन्हें क्लीन चिट मिल जाती है.

- डॉ. श्रीकांत तिवारी, सीएमओ गोरखपुर

अस्पताल में मारपीट की शिकायत मिलती है. उसकी जांच कराई जाती है. जांच में दोष सिद्ध होने पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होती है.

- डॉ. आनंद प्रकाश श्रीवास्तव, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल

इलाज के दौरान मौत के बाद परिजन गुस्से में होते हैं. उनके साथ आने वाले लोग इस गुस्से को ज्यादा तूल देते हैं. वह सिर्फ डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हैं जिसकी जांच कराई जाती है. अगर रिपोर्ट में सत्यता रहती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

- डॉ. आरके गुप्ता, एसआईसी, जिला अस्पताल

डॉक्टर चाहता है कि उसका मरीज ठीक हो. गंभीर मरीजों को ठीक करने के लिए डॉक्टर पूरा प्रयास करता है. कुछ केस ऐसे होते हैं जिसमें उसे सफलता नहीं मिल पाती है. परिजन डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए उन पर दोष मढ़ देते हैं.

- डॉ. एपी गुप्ता, अध्यक्ष, आईएमए