काउंसिल के फै़मिली कमीशन का कहना है कि उसने ऐसे परिवारों की मदद करने की योजना बनाई है जिनके परिवार बड़े हैं। प्रस्तावित योजना के तहत बच्चों के पालन पोषण के लिए परिवार को आर्थिक मदद से लेकर कई तरह की योजनाएं शामिल हैं। स्कूल फ़ीस में छूट से लेकर बच्चे के जन्म पर अस्पताल का खर्च उठाना भी योजना का हिस्सा है।

फै़मिली कमीशन का कहना है कि वो ऐसे परिवारों को सम्मानित करेगा जिनके पाँच बच्चे हैं। केरल के स्थानीय पत्रकार गिल्वेस्टर ने बताया कि वयानाड ज़िले के कलपेट्टा के सेंट विसेंट दे पॉल फोराने चर्च ने अगस्त में पाँच बच्चे वाले दो परिवारों के लिए दस हज़ार रूपए का बैंक डिपोज़िट उपहार के रूप में दिया है।

जब ये पाँचवा बच्चा वयस्क यानी 18 साल का होगा उस समय वर्तमान ब्याज़ दर के हिसाब ये जमा राशि बढ़ कर 54 हज़ार हो जाएगी। चर्च का कहना है कि ये कदम सिर्फ़ इसलिए उठाया जा रहा है ताकि लोग ज़्यादा बच्चे पैदा करने की शर्म से निजात पा सकें और स्वर्णिम काल के दिन वापस लौट सकें।

ईसाइयों की घटती आबादी

इससे पहले, जस्टिस वी कृष्ण अय्यर आयोग ने केरल में दो बच्चों का मानक तय करने का सुझाव देते हुए कुछ दंडात्मक कदम उठाने का सुझाव राज्य सरकार को दिया था।

महिला और बाल कल्याण आयोग के इस प्रस्ताव के मुताबिक़ तीसरे बच्चे की संभावना के तहत पिता पर न्यूनतम दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा या तीन महीने की साधारण जेल होगी।

साथ ही सरकारी सुविधाएं और फ़ायदे अभिभावकों को नहीं दिए जाएंगे। हालांकि बच्चों को किसी प्रकार के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा।

आयोग ने दो बच्चों के मानक का पालन करने वाले दंपति को प्रोत्साहन देने की सिफारिश भी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षित गर्भपात मुफ़्त में किया जाना चाहिए।

जस्टिस वी कृष्ण अय्यर आयोग ने यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री ओमन चांडी को सौंप दी है। मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट पर विचार के बाद सिफारिशों पर फ़ैसला करने की बात कही है। इन सिफ़ारिशों का विरोध भी शुरू हो गया है।

केरल कैथोलकि बशिप काउंसिल ने इसे निजी मामलों में दखलंदाजी बताया था। औऱ अब चर्च की योजनाओं को इसके जवाब के रूप में देखा जा रहा है।

केरल में ईसाइयों की जनसंख्या में गिरावट की रिपोर्टों के चलते राज्य के कैथोलिक बिशप काउंसिल केसीबीसी ने ईसाई दंपतियों को दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित करने के लिए अभियान चला रखा है।

1991 की जनगणना के अनुसार केरल में 19.5 प्रतिशत ईसाई थे जो 2001 की जनगणना के मुताबिक 19 प्रतिशत रह गए। ईसाई धर्मगुरुओं को डर है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो ईसाईयों की जनसंख्या में वृद्धि के बजाय कमी आने लगेगी।

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