सेंसर बोर्ड की कैची चलती
हमारे देश में हर साल अनेक फिल्में बनती हैं. कई बार तो ऐसा होता है कि करोड़ों रुपये की लागत से बनी फिल्मे सेंसर बोर्ड के मानकों पर खरी नहीं उतरती. अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें फिल्मों के डायलॉग और सीन पर सेंसर बोर्ड की कैची चलती है. नियमानुसार केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा फिल्मों को प्रमाणित करने के बाद ही उसे सिनेमा घरों में प्रदर्शित किया जा सकता है. सेंसर बोर्ड में बोर्ड में सेंट्रल गर्वमेंट द्वारा ही सदस्यों की नियुक्ति की जाती है. इस दौरान अध्यक्ष एवं गैर-सरकारी सदस्यों को शामिल नियुक्त किये जाते हैं. सेंसर बोर्ड फिल्मों में वल्गर सीन्स, वल्गर कॉमेडी, वल्गर सॉन्ग, डबल मीनिंग संवाद, एब्यूजिंग वर्ड जाने से रोकता है, इसके साथ ही यह भी ध्यान देता हैं कि फिल्म के जरिये किसी स्पेशल धर्म, समुदाय, वर्ग, आस्था आदि पर चोट न की जाए. ताकि समाज की शांति भंग न हो और सोसयटी में रॉन्ग मैसेज न जाने पाए.

बोर्ड का मुख्यालय मुंबई में
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन का बोर्ड का मुख्यालय मुंबई में है. सेंसर बोर्ड के अंडर में नौ रीजनल ऑफिस बनाए गए हैं. इसके ऑफिस जो मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलूर, तिरुवनंतपुरम, हैदराबाद, नई दिल्ली, कटक और गुवहाटी में हैं. जिससे इसके क्षेत्रीय कार्यालयों में सलाहकार पैनल के माध्यम से फिल्मों का परीक्षण होता है. गर्वमेंट द्वारा सोसायटी के अलग अलग स्तर के लोगों को इसके पैनल में शामिल किया जाता है. जिनका कार्यकाल दो वर्ष के लिए होता है. पैनल के सदस्य फिल्म, सीरियल और विज्ञापनों के हर एक पहलू को गंभीरता से देखते हैं. इसके बाद आपस में विचार विमर्श करने के बाद ही उसे प्रदर्शित करने की परमीशन देते हैं.

4 कैटेगरी के सर्टिफिकेट
फिल्मों का समाज पर बहुत प्रभाव पड़ता है. फिल्मों के लिए 4 कैटेगरी के सर्टिफिकेट निर्धारित किये गये हैं.
- अ (अनिर्बंधित) या U- यह सर्टिफिकेट पाई फिल्मों को हर एज ग्रुप के लोग देख सकते हैं.
- अ/व या U/A- इस कैटेगरी की  फिल्मों के कुछ दृश्यों मे हिंसा, अश्लील भाषा या यौन संबंधित सामग्री हो सकती है, जिससे इस श्रेणी की फिल्में केवल 12 साल से बड़े बच्चे किसी बड़े की उपस्थिति मे ही देख सकते हैं.
- व (वयस्क) या A - इस सर्टिफिकेट की फिल्म को सिर्फ वयस्क यानि 18 साल या उससे अधिक उम्र वाले लोग ही देख सकते हैं.
- वि (विशेष) या S- यह स्पेशल कैटेगरी है और यह रेयर फिल्मों को ही मिलती है. यह उन फिल्मों को दी जाती है जो पार्टीकुलर किसी एक वर्ग के लिए जैसे कि इंजीनियर या डॉक्टर आदि के लिए बनाई जाती हैं.

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