136 एकड़ एरिया में फैला है चंद्रशेखर आजाद पार्क।

12 से 15 लाख रुपया हर महीना मिलता है टिकट से।

7-8 हजार लोग औसतन रोज पहुंचते हैं वॉक करने यहां

10-15 हजार पहुंच जाती है लोगों की संख्या अवकाश के दिन

- 20-25 कर्मचारी किए गए हैं तैनात सफाई के लिए

-22.14 करोड़ रुपए मिले थे चंद्रशेखर आजाद पार्क के सुंदरीकरण के लिए

-आज तक नहीं बन सका पार्क में म्यूजिकल फाउंटेन और ओपेन एयर थियेटर

i reality check

-कंपनी गार्डन में मेंटेनेंस शुल्क लेने के बाद भी सफाई व्यवस्था बदहाल

-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में सामने आया सच

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: चंद्रशेखर आजाद पार्क संगम नगरी इलाहाबाद की शान कहा जाता है। लेकिन पार्क की फिलहाल जो हालत है डर है कि कहीं यह शान पर बट्टा न बन जाए। पार्क की हरियाली जहां गायब हो रही है। गंदगी के ढेर में ही मार्निग वॉकर्स को दौड़ लगानी पड़ती है। जबकि मेंटेनेंस शुल्क के नाम पर टिकट के रूप में पार्क एडमिनिस्ट्रेशन को हर महीने 12 से 15 लाख रुपया मिल रहा है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने जब यहां का रियलिटी चेक किया तो हालात कुछ यूं सामने आए

स्पॉट: 1 समय: सुबह 8 बजे

कचरे के ढेर किनारे योग

पार्क के अंदर स्थित म्यूजियम से सटे एरिया में बने एक छोटे से पार्क में कुछ महिलाएं बैठ कर योगा कर रही थीं। इससे थोड़ी ही दूर मैदान में गंदगी पड़ी हुई थी। कुछ ही दूरी पर कचरे से भरा डस्टबिन रखा था। लोगों द्वारा खाने-पीने के बाद फेंका गया पत्तल आदि पार्क में ही पड़ा था, जिसे साफ नहीं किया गया था। महिलाओं ने बातचीत में बताया कि हर रोज का यही हाल है। गंदगी के बीच हमें ध्यान और योग करना पड़ता है।

स्पॉट: 2 समय: सुबह 8.10 बजे

नहीं लगा था झाड़ू

136 एकड़ एरिया में फैले चंद्रशेखर आजाद पार्क में पर डे सात से आठ हजार और अवकाश के दिन 10 से 15 हजार लोग पहुंचते हैं। इनमें मॉर्निग और इवनिंग वॉकर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। लेकिन यहां सफाई दिन में केवल एक बार होती है, वह भी सुबह नौ से शाम चार बजे के बीच में। शाम चार बजे के बाद पार्क में आने वाले लोग जो गंदगी छोड़ कर जाते हैं, उसकी सफाई अगले दिन तब होती है जब मॉर्निग वॉकर चले जाते हैं।

चंद्रशेखर आजाद पार्क में सफाई व्यवस्था बिल्कुल नहीं है। सुबह के समय पार्क में चारों तरफ कचरे का ढेर दिखाई देता है। डस्टबिन भरे रहते हैं। नैचुरल कॉल के लिए महिलाओं को मुश्किल होती है। मैं खुद रोज चंद्रशेखर आजाद पार्क जाती हूं और लोगों की शिकायत सुनती हूं। लेकिन चंद्रशेखर आजाद पार्क में सफाई की जिम्मेदारी एडीए की है।

-अभिलाषा गुप्ता

मेयर, इलाहाबाद

हम लोग हर रोज पार्क में आते हैं, लेकिन पिछले कई महीनों से यहां सफाई व्यवस्था ध्वस्त है। पार्क में चारों तरफ गंदगी पड़ी रहती है। इससे सुबह ध्यान और योग करने में दिक्कत होती है।

-वंदना गुप्ता

मेंटेनेंस के नाम पर ही चंद्रशेखर आजाद पार्क में आने वाली हजारों पब्लिक से टिकट शुल्क लिया जाता है। लेकिन पार्क के मेंटेनेंस वर्क में लापरवाही बरती जा रही है। सफाई व्यवस्था के साथ ही यूरिनल की व्यवस्था भी ध्वस्त है।

-आदर्श त्रिपाठी

चंद्रशेखर आजाद पार्क 136 एकड़ एरिया में बसा है, लेकिन यहां पर केवल तीन टॉयलेट हैं। इससे लोगों को काफी दिक्कत होती है। इस पर जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए।

-किरन सिंह

चंद्रशेखर आजाद पार्क हम प्रकृति की छटा का आनंद लेने आते हैं, लेकिन यहां भी शहर के अन्य इलाकों की तरह अब गंदगी दिखाई देने लगी है। शाम को जो लोग कचरा छोड़ कर जाते हैं, उसकी सफाई नहीं होती है।

-साधना केसरवानी

दोपहर और शाम की अपेक्षा सुबह के समय सबसे अधिक भीड़ चंद्रशेखर आजाद पार्क में मॉर्निग वॉक करने आती है। लेकिन मॉर्निग वॉकर्स के लिए यहां की व्यवस्था न के बराबर है।

-संजय केसरवानी

पार्क में अब हरियाली कम गंदगी और कचरे का ढेर अधिक दिखाई देता है। पार्क में आने वाले लोगों से जो पैसा लिया जाता है, उसे कम से कम मेंटेनेंस पर खर्च किया जाना चाहिए।

-विजय कुमार

ब्यूटीफिकेशन के बाद करीब एक वर्ष तक चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था के बाद अब चंद्रशेखर आजाद पार्क की रौनक कुछ फीकी हो गई है। झील में पहले पानी भरा रहता था, वहीं चारों तरफ हरियाली दिखती थी अब सूखा के साथ ही गंदगी व कचरे का ढेर दिखाई देता है।

-रविंद्र जायसवाल

चंद्रशेखर आजाद पार्क में सफाई की पूरी व्यवस्था की गई है। पतझड़ का मौसम होने की वजह से थोड़ी गंदगी ज्यादा दिखाई दे रही है। अप्रैल और मई के महीने में थोड़ी दिक्कत होती है। मार्निग वॉकर के जाने के बाद सफाई कराई जाती है।

-उमेशचंद्र उत्तम

उद्यान अधीक्षक

चंद्रशेखर आजाद पार्क