-तुलसियानी अपार्टमेंट में हुआ दर्दनाक हादसा

-लिफ्ट गई ऊपर और खुल गया गेट, नीचे गिरे बच्चे ने आधे घंटे तड़पकर तोड़ा दम

-लिफ्ट का सेंसर फेल होने की आशंका, पुलिस जांच में जुटी

ALLAHABAD: सुबह साढ़े दस बजे सिविल लाइंस स्थित तुलसियानी अपार्टमेंट का मामला। सौरभ, छोटू उर्फ मनीष, आकाश, आलोक और श्रेष्ठ श्रीवास्तव अपनी बहनों व कजिन के साथ कन्या पूजन के लिए बुलावे पर पहुंचे थे। धमाचौकड़ी के चक्कर में लिफ्ट एक बालक के लिए काल बन गई। आधे घंटे तक वह तड़पता रहा लेकिन, कोई मदद नहीं मिली। फाइनली उसने दम तोड़ दिया।

गेट बंद हुए बिना लिफ्ट ऊपर गई

छोटू के साथी श्रेष्ठ श्रीवास्तव ने बताया कि सभी लोग नीचे से ऊपर पहुंचे थे। रास्ते में पता चला कि बाकी साथी सीढ़ी से नीचे जा रहे हैं। इसके बाद श्रेष्ठ व छोटू अपने साथियों के साथ फ‌र्स्ट फ्लोर पर लगे लिफ्ट के पास खड़े हो गए। यहां दो लिफ्ट लगे थे। एक का बटन प्रेस करने पर दरवाजा थोड़ा सा खुला तो छोटू ने उसमें हाथ डाल दिया। थोड़ी सी ताकत लगाने पर गेट पूरा खुल गया। सामने अंधेरा था। इससे कुछ भी देख पाने में असमर्थ छोटू आगे बढ़ा तो सीधे नीचे जा गिरा। उसकी चीख सुनकर श्रेष्ठ और उसके साथियों ने हल्ला मचाया। आसपास के लोगों को बुलाया। गार्ड और केयरटेकर भी पहुंच गए। एक्चुअली उस वक्त लिफ्ट ऊपर जा चुकी थी और सामने का एरिया खाली था।

फ्0 मिनट तक मौत से संघर्ष

साढ़े दस बजे हुई घटना के बाद से छोटू के साथियों ने चिल्लाना शुरू कर दिया था लेकिन आधे घंटे बीत गए और किसी को यह समझ में नहीं आया कि करना क्या है। सिक्योरिटी गार्ड ने लिफ्ट इंचार्ज चंदन कुमार को बुलाया। चंदन टीम के साथ पहुंचे लेकिन भांप नहीं सके कि हुआ क्या है। बच्चा कहां और किन परिस्थितियों में है। कुछ देर बाद लिफ्ट का गेट खोला गया तो बेसमेंट में नीचे खून से लथपथ छोटू मिला।

रोती रही छोटू की बहन

लिफ्ट के बेसमेंट से छोटू को निकालने में आधे घंटे लगे। बांडी बाहर निकली तो बहन नीलम उसे खून से लथपथ देखकर सन्नाटे में आ गई। छोटू का हाथ टूट चुका था। सिर पर गंभीर चोट से खून बह रहा था। सांसे चल रही थीं लेकिन हालत गंभीर थी। उसे गार्ड व अपार्टमेंट के लोग एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। वहां के डॉक्टर्स ने उसे दूसरे हॉस्पिटल रिफर कर दिया। दूसरे प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने उसे एसआरएन रिफर कर दिया। इस चक्कर में समय हाथ से निकल गया और एसआरएन के डॉक्टर भी कुछ नहीं कर सके। छोटू की सांसे थम चुकी थी। पुलिस ने बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

घर वालों पर आफत का पहाड़

लिफ्ट में बच्चे की मौत से अपार्टमेंट में हड़कंप मच गया। उन्हें भी नहीं समझ आ रहा था कि ये क्या हो गया। छोटू के पिता विजय बहादुर यादव को हादसे की जानकारी दी गई तो हनुमान मंदिर के पास से पहुंचे। बेटे की हालत देखकर उनके होश उड़ गए। बहन नीलम ने बताया कैसे उसका भाई लिफ्ट के नीचे गिरा। छोटू की मां उर्मिला दिवंगत हो चुकी हैं। इसके बाद से पिता विजय बहादुर ही बच्चों के लिए मां-बाप दोनों का फर्ज निभा रहे थे। छोटू के स्कूल का नाम मनीष था। पांच भाई बहनों में सबसे छोटा होने के कारण उसे सब प्यार से छोटू ही बुलाते थे। घर में उसकी सबसे बड़ी बहन पूनम (शादी), भाई पंकज (बीए), बहन नीलू (बीए) और बहन नीलम (8वीं की छात्रा) का रो-रोकर बुरा हाल था।

पुलिस के लिए बना चैलेंज

इसकी जानकारी मिलते ही सिविल लाइंस इंस्पेक्टर महेश पाण्डेय के अलावा एएसपी सचिन्द्र पटेल भी जांच के लिए पहुंचे। मौके पर श्रेष्ठ मिला जो छोटू के साथ हुई घटना का चश्मदीद गवाह था। उसने पुलिस और मीडिया को पूरी कहानी बताई। पुलिस ने गार्ड और सिक्योरिटी इंचार्ज से बात की। एएसपी सचिन्द्र पटेल ने कैंपस में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज चेक की। घंटों यह देखने की कोशिश की गई कि घटना कैसे हुई? एक-एक फ्लोर पर लगे कैमरे की रिकार्डिग देखने में पुलिस लगी रही।

घटना कैसे हुई यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। अब तक यही पता चला है कि बच्चा लिफ्ट से नीचे गिर गया जिससे उसकी मौत हो गई। सीसीटीवी फुटेज की मदद से पड़ताल की जा रही है।

सचिन्द्र पटेल

एएसपी

हम सारे दोस्त खेल रहे थे। छोटू ने लिफ्ट खोलने की कोशिश की। गेट नहीं खुल रहा था तो उसने हाथ डाल दिया। जैसे ही आगे बढ़ा, सीधे नीचे गिर गया। मैं चिल्लाता रह गया।

श्रेष्ठ श्रीवास्तव

छोटू का साथी प्रत्यक्षदर्शी

अभी कुछ कहना मुश्किल है। ऐसा लगता है कि जैसे ही लिफ्ट ऊपर गई, बच्चे ने हाथ डाल कर पहला गेट खोल लिया। अमूमन ऐसा नहीं होता। टेक्निकल फाल्ट से ऐसा हुआ होगा।

चंदन कुमार

सिक्योरिटी इंचार्ज, लिफ्ट

जवाब तलाश रही पुलिस

-हाथ डालकर खोलने से लिफ्ट का गेट खुला क्यों गया?

-कोई टेक्निकल प्राब्लम तो नहीं थी लिफ्ट में

-लिफ्ट में लगे बाहरी और भीतरी गेट का कनेक्शन क्या है?

-घटना के वक्त गार्ड वहां क्यों नहीं था?

-सीसीटीवी में क्यों नहीं दिख रहा है घटनाक्रम

-बच्चे को अंदर से निकालने में इतना टाइम क्यों लगा?

कैसे हुआ हादसा

-गेट आटोमेटिकली लॉक होने के बाद ही लिफ्ट मूव करती है

-छोटू ने बटन दबाया तो लिफ्ट का अंदर वाला गेट बंद हो गया और लिफ्ट ऊपर चली गई

-लिफ्ट के बाहर वाला गेट बंद होने के दौरान ही छोटू ने उसे पकड़ा

-सेंसर काम न करने से लिफ्ट ऊपर पहुंच गई

-लिफ्ट ऊपर जाने के बाद अंदर पूरा खाली स्पेस, बाहरी गेट खुलते ही छोटू अंदर गया

-अंदर कुछ नहीं था और वह सीधे तीन मंजिल से नीचे गिरा

-आंधे घंटे तक फंसा, दर्द से कराहता रहा

-हेड इंजरी और अत्याधिक ब्लीडिंग से मौत