पुलिस की रेड में मीरगंज से पकड़े गए बच्चे भी बाल संप्रेषण गृह में रहने को हैं मजबूर

सभी का कराया गया एचआईवी टेस्ट, इनका पुनर्वास सबसे बड़ा सवाल

ALLAHABAD:

मासूमों को तो पता भी नहीं कि वो किस दलदल से निकाले गए हैं। वो ये भी नहीं जानते कि उन्हें क्यों पकड़ा गया और उनकी खता क्या थी। जिन गलियों में पूरी आजाद के साथ बचपन गुजर रहा था, वह बहुत पीछे छूट गई है। अब जहां हैं, वह एक तरह से जेल ही है। यहां न तो खेलने की आजादी है और न ही मनचाही जिंदगी गुजारने की छूट। ये कहानी उन बच्चों की है, जिन्हें पुलिस ने मीरगंज रेड के दौरान पकड़ा था। इनके साथ क्या सुलूक किया जाएगा और इनका भविष्य क्या होगा, फिलहाल इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है। प्रशासनिक अधिकारी भी अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं।

34 बच्चों को चाहिए बेहतर भविष्य

एक मई को रेड लाइट एरिया मीरगंज में पड़े छापे के बाद 48 महिलाओं को जेल भेज दिया गया था और 71 पीडि़ताओं को बरामद कर पुनर्वास के लिए खुल्दाबाद के बाल संप्रेषण गृह के भूतल में रखा गया है। इनमें 34 बच्चे भी शामिल हैं। जिनमें कईयों की उम्र आठ साल से कम हैं तो कुछ लड़कियों की उम्र 11 से 12 साल के बीच है। इन्हें भी पीडि़ताओं में गिना जा रहा है। कुल मिलाकर इनको भी बेहतर भविष्य की दरकार है।

घातक बीमारियों का साया

मीरगंज में इन बच्चों को जिस माहौल में रखा जाता था, वह किसी से छिपा नहीं है। खासकर किशोरावस्था की दहलीज में कदम रख रही लड़कियों का देह शोषण भी बड़े पैमाने पर हो रहा था। ऐसे में इन पर एचआईवी जैसी घातक संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। प्रशासन की ओर से माताओं और बच्चों को मेडिकल कराया जा रहा है। इनके खून के सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं और जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

नहीं छूटेगा मां का आंचल

मीरगंज के देह व्यापार के घिनौने व्यापार से मुक्त कराई गई महिलाओं को आगरा के राजकीय संरक्षण गृह में भेजा जा रहा है। साथ में बच्चे भी माताओं के साथ वहीं रहेंगे। डीपीओ पुनीत कुमार का कहना है कि बच्चों को उनके परिजनों के साथ रखकर उनकी शिक्षा का प्रबंध कराया जाएगा। नियमानुसार मुक्त कराई गई महिलाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। भविष्य में इन बच्चों को भी पढ़ाई के साथ ऐसे ही प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाएंगे। बिना परिजन बरामद की गई किशोर बच्चियों को बालगृह में रखा जा सकता है।

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संवार सकते हैं इनकी जिंदगी

मीरगंज देह व्यापार मामले के विरोध में आंदोलन चलाने वाले समाजसेवी सुनील चौधरी ने एक अनोखी पहल कर इन बच्चों के जीवन में उजाला फैलाने का काम किया है। उन्होंने शेल्टर में रह रहे 34 बच्चों में से किसी एक लड़की को गोद लेने की इच्छा कमिश्नर राजन शुक्ला से व्यक्त की है। उनका कहना है कि परिजनों की सहमति से इन कार्य को पूर्ण किया जा सकता है।

फैक्ट फाइल

मीरगंज से पकड़े गए बच्चों की संख्या 34

48 महिलाओं को भेजा गया जेल 71 पीडि़ताओं को खुल्दाबाद के बाल संप्रेषण गृह के भूतल में भेजा

कुछ बच्चों की उम्र आठ साल से भी कम

कुछ लड़कियों की उम्र 11 से 12 साल के बीच है।