-जीआरएम के प्रबंधक राजेश जौली ने श्रीनगर से लाकर लगाए थे चिनार के पेड़

साइंटिफिक नेम- प्लेटेनस ओरिएंटलिस

लोकल नेम - चिनार

30 मीटर से अधिक ऊंचा होता है पेड़

8 साल पुराने हैं बरेली में लगे चार पेड़

:अर्थ डे से शुरू हुए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के कैंपेन डॉक्यूमें 'ट्री' में आज हम आपको चिनार के पेड़ के बारे में बता रहे हैं. आमतौर पर ठंडे पहाड़ी इलाकों में पाये जाने वाले चिनार के पेड़ करीब आठ साल पहले डोहरा रोड स्थित जीआरएम स्कूल में वहां के प्रबंधक राजेश जौली ने लगवाए थे. वह श्रीनगर से चिनार के पौधे लेकर आए थे. जीआरएम परिसर में लहलहाते चिनार के पेड़ करीब 20 फुट ऊंचे हो चुके हैं.

मान्यता

मान्यता है कि कश्मीर में देव स्थान के पास चूनर नाम के लगे थे. बाद में इन्हें प्रमुख उद्यान वृक्ष के रूप में लगाया जाने लगा. कश्मीर में स्थानीय लोगों ने इसे बाओनन नाम दिया जबकि हिंदी और उर्दूभाषी लोगों ने इसे चिनार नाम दिया. आज ज्यादातर लोग इसे चिनार के नाम से ही जानते हैं. बताया जाता है कि चिनार की पत्तियों और छाल का उपयोग औषधीय रूप में भी किया जाता है.

इंडोर फर्नीचर में उपयोग

चिनार के पेड़ की लकड़ी का उपयोग इंडोर फर्नीचर बनाने में किया जाता है. हालांकि साल, शीशम के मुकाबले चिनार की लकड़ी ज्यादा महंगी होती है. इसके चलते कम लोग ही इसका उपयोग फर्नीचर बनवाने में करते हैं.