-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग में हुआ खुलासा

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VARANSI : हेडिंग को पढ़कर चौंकिए नहीं ये बिल्कुल सच है। बनारस में मौत बांटने का सामान मात्र 500 रुपये में मिल जाता है। यकीन ना हो तो किसी पतंग की दुकान पर चले जाइए और चाइनीज मांझा खरीद लाइये, फिर बांटते रहिए शहर भर में मौत। इस पर शासन से लेकर प्रशासन तक ने बैन लगा दिया है। बिक्री रोकने के लिए पुलिस ने पूरी ताकत झोंक दी है और दावा करती है शहर में कहीं चाइनीज मांझा नहीं बिक रहा है लेकिन सच यह है कि पूरे शहर में धड़ल्ले से इसे बेचा जा रहा है। बड़े तो बड़े बच्चों के हाथ में भी आसानी से पहुंच जा रहा है। हर रोज इसकी चपेट में आकर लोग बुरी तरह घायल हो रहे हैं। पिछले साल कुछ लोगों की जान तक चली गयी थी। चाइनीज मांझा की बिक्री कैसे हो रही इसका खुलासा करने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने स्टिंग किया। इसमें चौंकाने वाली बातें सामने आयीं। कैसे हुआ ये स्टिंग और क्या-क्या हुए खुलासे इस मौत के धंधे के जानिए के लिए चलिए अंदर के पेज पर।

 

दालमंडी की हर दुकान पर मौजूद मौत का सामान

चाइनीज मांझा शहर के आसमान में उड़ती लगभग हर पतंग के साथ नजर आता है। लेकिन पतंग की दुकानों पर इसकी तलाश आसान नहीं है। दुकानदार बेहद शातिराना तरीके से इसकी बिक्री करते हैं। वो मांझा उसी को बेचते हैं जिन्हें या तो जानते हैं या परख लेते हैं कि उससे किसी तरह का खतरा हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम बनारस की कई ऐसे बाजार में पहुंची जहां पतंगों की दुकानें हैं। सबसे बड़े पतंग बाजार दालमंडी से लेकर औरंगाबाद का इलाका खंगाला। आखिरकार उनके हाथ चाइनीज मांझा लग ही गया।

 

 

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दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम

चौक से दालमंडी की एक सकरी गली में दाखिल हुई। उसे जानकारी मिल चुकी थी कि 500 रुपये में एक परेती चाइनीज मांझा मिल जाता है। कुछ दूर आगे बढ़ते ही पतंग की एक दर्जन दुकानें नजर आयीं। सभी पर बाहर पतंग और देसी मांझा नजर आ रहा था। रिपोर्टर ने कस्टमर बन दुकानदार से चायनीज मांझा मांगा। पहले तो उसने देखा जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो उसके बाद साफ इनकार कर दिया।

 

 

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रिपोर्टर दालमंडी में ही दूसरी दुकान पर पहुंचा। कुछ और बात किए बिना सीधे दुकानदार से चायनीज मांझा की डिमांड किया। दुकानदार थोड़ा चौंका, जब तक कुछ कहता इसके पहले ही रिपोर्टर ने 500 का नोट उसकी तरफ बढ़ा दिया। दुकानदार ने भी कुछ कहना जरूरी नहीं समझा और दुकान में छुपाकर रखी एक बोरी से एक परेती चाइनीज मांझा निकालकर दे दिया। इसे लेकर रिपोर्टर टीम के साथ गली से बाहर आ गया।


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औरंगाबाद एरिया भी पतंग का बड़ा मार्केट है। दालमंडी से निकलकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम इस एरिया में पहुंची। रिपोर्टर कस्टमर बनकर एक दुकान पर पहुंचा। यहां 17 साल का मौजूद था। लेकिन यह भी बेहद शातिर था। रिपोर्टर ने इसे चायनीज मांझा मांगा पहले तो उसने इनकार कर दिया। रिपोर्टर ने दुकान का पुराना ग्राहक बताकर उसे भरोसे में लिया तो लड़का मान गया। उसने पांच सौ रुपये लेकर एक परेती चाइनीज मांझा दे दिया।


कदम-कदम पर मुखबिर

 

जिन बाजारों में चाइनीज मांझा बिक रहा है वहां दुकानदारों ने कदम-कदम पर मुखबिर तैनात कर रखा है। जरा सी गड़बड़ी समझ में आने पर अपने माल को छुपा देते हैं। दालमंडी में जब रिपोर्टर चाइनीज मांझा की तलाश कर रहा था तो मुखबिर उसकी टोह में लग गए थे। दुकानदार के बातचीत के दौरान वहां जमा हो गए। लेकिन जब तक कुछ समझ पाते तब तक दुकानदार बोरे में भरकर रखे चाइनीज मांझा के खेप को दिखा चुका था और उसमें से एक परेती दे चुका था। हालांकि मुखबिर ने दुकानदार को सावधान रहने की चेतावनी दी।

 

खाकी का मिला संरक्षण

 

शासन और प्रशासन ने चाइनीज मांझा की बिक्री पर रोक लगा रखा है। पुलिस के आला अधिकारियों ने थानेदारों को चाइनीज मांझा की बिक्री पर रोक लगाने की जिम्मेदारी दी है। लेकिन इसकी बिक्री खाकी के ही संरक्षण में हो रही है। स्टिंग के दौरान दालमंडी में एक पंतग कारोबारी के पास सिपाही पहुंचा। कुछ बोला भी नहीं, दुकानदार ने पांच हजार रुपया निकाला और सिपाही को थमा दिया। सिपाही वहां से चला गया। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम को पता चला कि कई क्विंटल चायनीज मांझा दालमंडी में मौजूद है। इसकी जानकारी पुलिस को भी है लेकिन उसकी जेब गर्म होती है इसलिए आंख बंद कर लिया है।

 

पूर्वाचल में पहुंच रहा डै्रगन

 

मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का बड़ा प्रचलन है। आसमान में चहुंओर पतंग ही पतंग दिखाई दे रही है। बनारस का दालमंडी और औरंगाबाद एरिया ऐसा है, जहां पूरे पूर्वाचल-बिहार तक चायनीज मांझा की सप्लाई होती है। आसपास के जनपद चंदौली, गाजीपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर सहित बिहार बार्डर के आसपास इलाकों के दुकानदार दालमंडी से पतंग सहित चायनीज माल खरीदते है।

 

यहां मौजूद है चाइनीज मांझा

 

दालमंडी और औरंगाबाद जैसे बड़े मार्केट के साथ ही कोयला बाजार मच्छोदरी, शिवाला, लंका, नवाबगंज, सुंदरपुर, लल्लापुरा, औरंगाबाद, अर्दली बाजार, पाण्डेयपुर, पंचक्रोशी समेत कई बाजारों में चाइनीज मांझा बिक रहा है। सिटी में पांच सौ से अधिक दुकानों से मांझे की बिक्री हो रही है। इनमें से कई दुकानें थानों, चौकियों व पिकेट के पास मौजूद हैं।


कब थमेगा डै्रगन का वार

 

- चाइनीज मांझा दिन ब दिन घातक हो जा रहा है। कोई ऐसा दिन नहीं जब वह किसी को अपना शिकार न बनाता हो

- अक्टूबर माह में सिगरा के रहने वाले रमेन्द्र और लंका के संदीप यादव समेत दो दर्जन से अधिक लोगों को शिकार बनाया था

- नवम्बर माह में लंका के अजय प्रताप, दशाश्वमेध के शिवप्रकाश समेत तीन दर्जन लोग इसकी चपेट में आए

-दिसंबर में आशापुर के एके पांडेय, चौक के साड़ी कारोबारी सुनील, सलीम शेख भी चपेट में आए

- आसमान में उड़ता चाइनीज मांझा किसी की गर्दन काट रहा है तो किसी की नाक काट रहा है

- इसके सबसे ज्यादा शिकार राह चलते लोग रहे हैं। बाइक सवार या पैदल के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है

- घरों की छतों, बालकनी पर मौजूद लोग भी सुरक्षित नहीं हैं।

- यह मांझा परवाज भरने वाले परिंदों का पर रेत रहा है।


विरोध का असर नहीं

 

- चाइनीज मांझा का विरोध भी खूब हो रहा है। बिक्री की शिकायत रवीन्द्रपुरी पीएम के संसदीय कार्यालय में भी की गयी है। सामाजिक संस्था सुबह ए बनारस के सदस्यों ने विरोध मार्च निकालकर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इकरा फाउंडेशन के सदस्यों ने चाइनीज मांझा की होली जलाया। सुगम संस्था ने विरोध मार्च निकाला और पैम्फलेट बांटकर लोगों जागरूक कर रही है।

 

कब खुलेगी इनकी नींद

 

शासन और प्रशासन चाइनीज मांझा पर प्रतिबंध लगाकर भूल गया है। इस साल अभी तक किसी दुकान पर छापेमारी नहीं हुई। चाइनीज मांझा के मार्केट में आने से देसी मांझा का इस्तेमाल बेहद कम हो गया। हर साल शहर में लाखों रुपये का कारोबार होता था। जो कि अब महज हजारों तक सिमटकर रह गया है।

 

मामला मोटी कमाई का

 

बेहद शार्प होने की वजह से चाइनीज मांझा की अच्छी डिमांड रहती है। पतंगबाज इसके लिए मुंहमांगी रकम अदा करते को तैयार रहते हैं। शहर में बिकने वाला चाइनीज मांझा इसे भले ही कहते हैं लेकिन इसे अलीगढ़, बरेली, आगरा में ही तैयार किया जाता है। कई बड़े दुकानदार इसे शहर में तैयार भी करते हैं। सामान्य मांझा को शॉर्प बनाने के लिए उसमें तागे का काफी मजबूती से इस्तेमाल किया जाता है। इस पर केमिकल के साथ शीशे के बुरादे का लेप भी लगाया जाता है।