-ब्लड की कमी से जूझ रहा है शहर का सरकारी ब्लड बैंक
-मंडलीय हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में निगेटिव ग्रुप का खून उपलब्ध नहीं -रेयर ब्लड ग्रुप के लिए होती है मारामारी, सिर्फ दो तिहाई लोगों की पूरी हो पाती है डिमांड
अगर आप किसी अपने या जान पहचान के मरीज के लिए सरकारी ब्लड बैंक से निगेटिव ब्लड ग्रुप का खून लेने की सोच रहे हैं तो फिलहाल आपकी यह जरूरत यहां पूरी नहीं होने वाली है। दरअसल मंडलीय हॉस्पिटल में बने ब्लड बैंक में निगेटिव ग्रुप का खून उपलब्ध नहीं है। इस ब्लड बैंक को खुद ही खून चढ़ाने की जरूरत है। क्यों कि यहां जरूरत मुताबिक खून का स्टॉक कम है। अधिकारियों की मानें तो यहां ए, ओ, बी व एबी निगेटिव ग्रुप का ब्लड लंबे समय से नहीं आ रहा है। वर्तमान में अगर किसी मरीज को इनमें से किसी भी निगेटिव ग्रुप के ब्लड की जरूरत होगी तो उसे यह लाभ यहां शायद ही मिल पाए।
प्राइवेट ब्लड बैंक जाते हैं मरीज
इस ब्लड बैंक में एक-एक बूंद खून के लिए मारामारी रहती है। मरीजों और परिजनों को ब्लड उपलब्ध न होने पर उन्हें प्राइवेट ब्लड बैंक जाना पड़ता है। यहां भी रेयर ब्लड ग्रुप की डिमांड पर सेम ग्रुप का डोनर ढूंढने में परिजनों के पसीने छूट जाते हैं। अगर डोनर न मिला तो खून की कमी से मरीज की जान जाने तक की नौबत आ जाती है।
करते रह जाते हैं इंतजार
मंडलीय हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में हमेशा ब्लड के स्टाक का टोटा रहता है। कुल स्टॉक का 56 फीसदी ब्लड ही उपलब्ध रहता है। रेयर माना जाने वाला निगेटिव ब्लड ग्रुप शायद ही तत्काल मिल पाए। सूत्रों की मानें तो शहर में डेली तीन सौ यूनिट ब्लड की डिमांड होती है। इसके सापेक्ष दो सौ यूनिट ब्लड ही उपलब्ध हो पाता है। वहीं अन्य लोगों को अगले दिन तक का इंतजार करना पड़ता है।
लेने वाले ज्यादा, देने वाले कम
ब्लड बैंक के अधिकारियों की मानें तो यहां स्टॉक पूरा न होने की सबसे बड़ी वजह डोनर की कमी का होना है। यहां खून देने वालों से ज्यादा लेने वाले आते हैं। ब्लड बैंक को भी तो खून चाहिए। आधे से ज्यादा लोग सिफारिश लेकर आते हैं। ऐसे में उन्हें बिना डोनर ही ब्लड दिया जाता है। इस तरह से स्टाक कम होता है।
ब्लड बैंक पर एक नजर
300
यूनिट ब्लड की है यहां कैपेसिटी
170
यूनिट ब्लड उपलब्ध मिला मंगलवार को
275 से 300
यूनिट की है खपत हर माह
इस ग्रुप का ब्लड नहीं रहता उपलब्ध
ए निगेटिव
बी निगेटिव
ओ निगेटिव
एबी निगेटिव
यहां ब्लड का स्टॉक न हो पाने की सबसे बड़ी वजह डोनर का न मिलना है। निगेटिव ग्रुप का ब्लड शायद ही कभी आता है। यही वजह है कि मरीजों को इन ग्रुप्स का ब्लड नहीं मिल पाता है।
डॉ। आरके सिंह, इंचार्ज, ब्लड बैंक, मंडलीय हॉस्पिटल