-तीन दिवसीय जागरण फिल्म फेस्टिवल का समापन

-एमएस धौनी, अचानक, बॉबी, द गाजी अटैक फिल्में दिखाई गई

-आशुतोष राणा से फिल्म समीक्षक मयंक शेखर ने की बातचीत

रांची : दैनिक जागरण का तीन दिवसीय जागरण फिल्म फेस्टिवल रविवार को संपन्न हो गया। हर शो में लोगों की भीड़ रही। लंबी-लंबी कतारें शो से घंटा भर पहले लग जा रही थी। लोगों में इस उत्सव को लेकर गजब का उत्साह था। लोग हर फिल्म का आनंद ले रहे थे। 12 बजे जब एमएस धौनी : द अनटोल्ड स्टेारी शुरू हुई तो दर्शकों का उत्साह देखने लायक था। जिस शहर ने महेंद्र सिंह धौनी को बड़ा होते देखा, वह शहर अपने धौनी को बड़े होने की कहानी पर्दे पर देख रहा था। देख रहा था, धौनी की क्रिकेट के प्रति दीवानगी, प्रेम के उलझे तार और तारों से झांकती वह रोशनी, जिसे सिर्फ एक क्रिकेटर देख रहा था। धौनी की यह बायोपिक हर दर्शक ने पूरे आनंद के साथ देखी। दर्शक रांची से शुरू हुई यात्रा को देख रहे थे और यह भी कि एक लड़का, कैसे भारतीय क्रिकेट टीम का कैप्टन बन गया? यह हर छोटे शहर के छोटे-छोटे सपनों को पूरा करने की कहानी थी। दर्शक धौनी के हर शॉट पर ताली बजा रहे थे। जैसे, वह किसी हॉल में नहीं, क्रिकेट के मैदान में हों।

'अचानक' से शुरुआत

अंतिम दिन फिल्मोत्सव की शुरुआत गुलजार के अचानक से हुई। यह 1973 की बनी है। गुलजार द्वारा निर्देशित यह एक थ्रिलर फिल्म है। यह एक सीधा सपाट क्राइम थ्रिलर नहीं है, बल्कि इस फिल्म में एक साथ कई फिल्में बसती हैं। लोगों ने इसे पसंद किया। इसके बाद ऋषि कपूर और डिंपल की पहली फिल्म बॉबी का भी दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया।

मयंक शेखर से बातचीत

इसके बाद आशुतोष राणा के साथ मयंक शेखर की बातचीत का लोगों ने आनंद लिया। दर्शकों ने भी आशुतोष से सवाल किए। अंत में संकल्प रेड्डी द्वारा निर्देशित है द गाजी अटैक दिखाई गई। यह फिल्म 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित थी। युद्ध के दौरान पाकिस्तानी युद्धपोत पीएनएस गाजी के रहस्यमय ढंग से डूबने पर आधारित है। फिल्मी कलाकारों में राणा दग्गुबाती, तापसी पन्नू, केके मेनन और अतुल कुलकर्णी ने जबरदस्त अभिनय किया था। फिल्म के हिंदी संस्करण में नरेशन के लिए अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज दी है। फिल्म इसी साल 17 फरवरी को रिलीज हुई थी। यह अंतिम फिल्म थी। इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ रही। कई दर्शकों ने तो सीढि़यों पर बैठकर आनंद लिया। यहां भी जगह नहीं बची तो कुछ निराश भी हुए। इस तरह तीन दिनों से चल रहा फिल्मों का मेला सुखद एहसास छोड़कर विदा हुआ। अगली बार फिर नई और दुर्लभ फिल्मों के साथ रूबरू होने का मौका मिलेगा।

ऑटोग्राफ की दीवानगी

आशुतोष राणा का आटोग्राफ लेने के लिए दर्शक मचल उठे। हर उम्र के लोग आटोग्राफ लेना चाहते थे। लोगों ने राणा ने निराश नहीं किया। कुछ सेल्फी भी ले रहे थे।