तालाब की जमीन का किया जा चुका है दाखिला खारिज
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AGRA. भू माफियाओं ने राजस्व कर्मियों और तहसील अधिकारियों से मिलीभगत कर तालाब पर कॉलेज खड़ा कर दिया। मामला जानकारी में आने पर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री महेन्द्र अरिदमन सिंह मामले की जांच के लिए राजस्व परिषद और प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखा, तो जांच में मामला गड़बड़ निकला। अब इस मामले में तालाब की जमीन का दाखिला खारिज कर खतौनी के निरस्तीकरण के आदेश कर दिए गए हैं।

ये था मामला
इस बारे में पूर्व मंत्री महेन्द्र अरिदमन सिंह ने बताया कि बाह क्षेत्र प्राचीन तालाब नं 224 को कब्जाने के लिए रामानन्द आदि भू माफियाओं ने तात्कालिक लेखपाल महेश चंद तथा तहसील कर्मियों से मिलकर फर्जी इंद्राज कर अपने नाम में दर्ज करा लिया। इसमें जमींदारी को समाप्त कर दर्ज करवा लिया। तालाब की जमीन पर रामानन्द कैलाश चंद्र पैंगोरिया कॉलेज खड़ा करवा दिया। पूर्व विधायक ने बताया कि तालाब 224 को सिंघाड़े पैदा करने के लिए दौलतिया पुत्र चौथा को दिया गया था। दौलतिया पर रामानन्द एवं लाला सभाजीत का कर्जा था। इसके आधार पर भू माफियाओं ने फर्जी तरीके से लेखपाल से मिलकर तालाब के भू लेख गायब करा दिए। जब इस मामले की जांच एसडीएम बाह और चकबंदी की रिपोर्ट में मौके पर दस्तावेजों में तालाब पाया गया। इस मामले में आयुक्त एवं सचिव मामले की जांच के लिए संन्दर्भित किया। लेकिन अफसरों ने भू माफिया से सांठगांठ कर मई 2010 में गलत आख्या कर भेज दी। इस मामले में न तो निष्पक्ष जांच हुई, इस मामले में एक पक्षीय कार्रवाई की गई। इसके बाद पुन: जांच की गई। इसमें 18 अप्रैल 2011 को जमीन का दाखिला खारिज निरस्त कर दिया गया। खतौनियों के निरस्तीकरण के आदेश कर दिए गए।

विवि से सम्बद्धता नहीं
रामानन्द कैलाश चंद पैंगोरिया कॉलेज ने वर्ष 2010-11 में 100 बीएड सीटों की प्रवेश क्षमता के लिए डॉ। भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में सम्बद्धता के लिए आवेदन किया था। वहीं इस बारे में पूर्व मंत्री महेन्द्र अरिदमन सिंह ने बताया कि जब इस बारे में विवि। को कॉलेज की सम्बद्धता के बारे में जानकारी के लिए पत्राचार किया गया, तो विवि। के उप कुल सचिव ने कॉलेज की विवि। से सम्बद्धता न होने की जानकारी दी।